बिल ब्राइसन के नाम से कबाड़खाने
के पाठक अपरिचित नहीं हैं. उनकी विख्यात पुस्तक ‘अ शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ़ नियर्ली एवरीथिंग
के कुछ अंश आप यहाँ पढ़ चुके हैं. उनका एक साक्षात्कार यहाँ प्रस्तुत करने से पूर्व
मैं चाहता हूँ उनके बारे में आप को तफसील से कुछ बताऊँ. आज जानिये इस एक बहुआयामी
प्रतिभा को -
आयोवा
के डी मोईन में १९५१ में बिल ब्राइसन का जन्म हुआ था. वे १९७७ में बतौर पत्रकार
इंग्लैंड में आ बसे और उसके बाद पूर्णकालिक लेखक बन गए. वे १९९० के दशक के शुरुआती
सालों तक अपनी ब्रिटिश पत्नी और चार बच्चों के साथ उत्तरी यॉर्कशायर में रहे. उसके
पश्चात थोड़े समय के लिए वे अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में. फ़िलहाल वे लम्बे समय
से दोबारा वापस इंग्लैंड में ही रह रहे हैं.
आधिकारिक
रेकॉर्ड्स रखे जाने के बाद के समय से आज तक इंग्लैंड के इतिहास में किसी भी
नॉन-फिक्शन लेखक की किताबें इतना नहीं बिकीं हैं जितना बिल की.
उनकी
पहली पेशकश थी ‘द पेंग्विन डिक्शनरी ऑफ़ ट्रबलसम वर्ड्स’. यह डिक्शनरी १९८४ में छपी.
उनकी दूसरी
किताब ‘द लॉस्ट कॉन्टिनेंट’ १९८९ में
छाप कर आई. इसमें उनकी आयोवा और ३८ अन्य राज्यों की यात्राओं का दस्तावेज़ है. वे
अपनी युवावस्था को दोबारा खोजने के लिए इस यात्रा पर निकले थे. इस किताब में वे
अपनी माँ को बेतरह याद करते हैं. और अपने जन्म के शहर डी मोईन की तमाम स्त्रियों
को भी. इस बेहद मनोरंजक किताब में उनका ह्यूमर बहुत उदार लेकिन तीखा और धारदार है –
“अलबत्ता जो भी हो एक बात तो मैं कहना चाहूँगा – बात अजीब है, बहुत ज्यादा अजीब – इन मुटल्ली औरतों की किशोरवय बेटियाँ हमेशा अतीव आकर्षक होती हैं ... पता
नहीं उन्हें बाद में क्या हो जाता है, लेकिन उनमें से किसी
एक सुन्दरी से ब्याह करना ख़ासा भयानक होता होगा क्योंकि आप जानते हैं उनके भीतर
एक टाइम-बम लगातार टिक-टिक कर रहा है जो एक ख़ास तारीख को उसे एक विशाल और अटपट
चीज़ में फुला देगा, और इसके लिए कोई नोटिस पहले से जारी
किया जाए ज़रूरी नहीं ...”
(यहाँ मैं थोड़ा
सा विषयांतर करते हुए एक और प्रिय लेखक जैक केरोआक की अत्यधिक चर्चित किताब ‘ऑन द रोड’ का ज़िक्र करना चाहता हूँ. आवारागर्दी और
यायावरी की बाइबिल मानी जाने वाली इस किताब में जैक ने डी मोईन की लड़कियों को इस
नक्षत्र में सुन्दरतम बताया है.)
बिल की अगली
किताब ‘नाईदर हेयर नॉर देयर’ (१९९१)
उनके यूरोप भ्रमण पर आधारित है. अपनी पीढी के अधिसंख्य लोगों की तरह बिल ब्राइसन
ने १९७० के दशक के शुरू में यूरोप में बैकपैकिंग की थी – ज्ञान,
बीयर और स्त्रियों की तलाश में. बीस साल बाद वे इन अनुभवों को इस
किताब में अपने पाठकों के साथ साझा करते हैं. स्कैंडिनेविया से लेकर इस्ताम्बुल तक
के अनुभवों को उन्होंने दिलचस्प तरीके से इस में पिरोया है.
अमेरिका के
अनुभवों पर आधारित ‘नोट्स फ्रॉम अ स्मॉल आइलैंड’ १९९५
में छप कर आई और ‘अ वॉक इन द वुड्स’ १९९८
में. १९९९ और २००० में उनके अमेरिकी अनुभवों की अगली किताबें ‘नोट्स फ्रॉम अ बिग कंट्री’ और ‘डाउन अंडर – इन अ सनबर्न्ट कंट्री’ छपीं. ‘बिल ब्राइसंस अफ्रीकन डायरी’ २००२ में आई और ‘वॉक अबाउट’ भी
उसी साल.
एक यायावर लेखक
होने के अलावा बिल को अपनी भाषा में भी खासी दिलचस्पी रही है. १९८४ की डिक्शनरी के
अलावा अंग्रेज़ी भाषा को लेकर उनकी कुछ उम्दा किताबें ये हैं –
‘मेड इन अमेरिका – एन इन्फौर्मल हिस्ट्री ऑफ़
द इंग्लिश लैंग्वेज इन द यूनाइटेड स्टेट्स’ (१९९४), ‘द मदर टंग – इंग्लिश एंड हाउ इट गौट दैट वे’
(२००४), ‘ब्राइसंस डिक्शनरी ऑफ़ ट्रबलसम
वर्ड्स’ (२००२) और ‘ब्राइसंस डिक्शनरी
फॉर रायटर्स एंड एडीटर्स’ (२००८).
यह
महाप्रतिभाशाली लेखक विज्ञान-लेखन में भी अपना हाथ आजमाने से नहीं चूका. २००३ में
छपी उनकी किताब ‘अ शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ़ नियरली एवेरीथिंग’ अब एक क्लासिक का दर्ज़ा हासिल कर चुकी है. भौतिक विज्ञान पर ऐसी शानदार
किताबें खोज पाना दुर्लभ है. विज्ञान पर उनके बाकी महत्वपूर्ण कामों में ‘ऑन द शोल्डर्स ऑफ़ जायन्ट्स’ (२००९) और ‘सीइंग फर्दर – द स्टोरी ऑफ़ साइंस, डिस्कवरी एंड द जीनियस ऑफ़ द रॉयल सोसायटी’ (२०१०)
का संपादन प्रमुख हैं.
बिल ने विलियम
शेक्सपीयर की जीवनगाथा भी लिखी है – ‘शेक्सपीयर
– द वर्ल्ड एज़ स्टेज’ (२००७). इस के
पहले २००६ में वे १९५० के दशक में बिताए अपने बचपन को जिस जीवन्तता से याद करते
हैं उसकी मिसाल मिलना भी दुर्लभ है. ‘द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़
द थंडरबोल्ट किड’ एक शानदार संस्मरण है.
बिल की आखिरी
छपी किताब है ‘एट होम – अ शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ़
प्राइवेट लाइफ’ (२०१०). यह किताब अरसे से बेस्टसेलर्स की
किताबों की लिस्ट में जमी हुई है.
२००५ से बिल
डरहम विश्वविद्यालय के चांसलर हैं और २००६ में साहित्य के प्रति उनके योगदान के
लिए उन्हें ओ.बी.ई. की मानद उपाधि दी गयी. इंग्लैण्ड के गाँवों के लिए उनका अनुराग
प्रसिद्ध है और २००७ में उन्हें ‘कैम्पेन टू
प्रोटेक्ट रूरल इंग्लैण्ड’ का अध्यक्ष मनोनीत किया गया.
3 comments:
'देस मोइनेस' kI jagah 'डी मोईन' कर दे,
एक पुस्तक में सब पढ़ लेंगे तब तो।
too good..far valueable info !
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