Saturday, January 12, 2013
मीर पर बातें करो
मीर
-आलोक धन्वा
मीर पर बातें करो
तो वे बातें भी उतनी
ही
अच्छी लगती हैं
जितने मीर
और तुम्हारा वह कहना सब
दीवानगी की सादगी में
दिल-दिल करना
दुहराना दिल के बारे में
ज़ोर देकर कहना अपने दिल के बारे में कि
जनाब यह वही दिल है
जो मीर की गली से हो आया है.
3 comments:
अनूप शुक्ल
said...
अच्छा है।
January 12, 2013 at 8:06 AM
रश्मि प्रभा...
said...
http://urvija.parikalpnaa.com/2013/01/blog-post_12.html
January 12, 2013 at 11:12 AM
36solutions
said...
ये थे मीर.
January 12, 2013 at 12:07 PM
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3 comments:
अच्छा है।
http://urvija.parikalpnaa.com/2013/01/blog-post_12.html
ये थे मीर.
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