Thursday, January 17, 2013
स्त्रियों ने रचा जिसे युगों में
शरीर
-आलोक धन्वा
स्त्रियों ने रचा जिसे युगों में
युगों की रातों में उतने निजी हुए शरीर
आज मैं चला ढूँढने अपने शरीर में
1 comment:
titali
said...
kya khub kaha hai apne...
January 17, 2013 at 9:50 AM
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kya khub kaha hai apne...
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