Wednesday, January 16, 2013

देवताओं का रक्त अब भी ताज़ा है मेरे कपड़ों पर

सीरियाई कवि अदूनिस की एक उक्ति -


मैं मुक्त करता हूँ धरती को और कैदखाने में डाल देता हूँ आसमान को. रोशनी के लिए वफादार बने रहने के लिए, संसार को संदिग्ध, आकर्षक, परिवर्तनीय और जोखिमभरा बनाने के लिए, सुनाई न दे रही पदचापों की घोषणा करने के लिए, मैं गिरता हूँ.

देवताओं का रक्त अब भी ताज़ा है मेरे कपड़ों पर. एक समुद्री कौव्वे की चीख़ गूंजती है मेरे पन्नों में. बस मुझे अपने शब्दों को बाँध कर निकल पड़ने की इजाज़त दो.


1 comment:

ANULATA RAJ NAIR said...

लाजवाब...

आभार
अनु