-अनुवाद : मंगलेश डबराल
(पिछली कड़ी से आगे)
लातिन अमरीका में साहित्यिक गतिविधियों पर मैं आपके विचार जानना
चाहूंगी।
नेरुदा: कोई भी पत्रिका उठाइए-चाहे वह ओंदुरास से छपती हो या न्यूयॉर्क से; स्पानी में या मोंतेविदेओ से या ग्वागाकिल से-उसमें एलियट और काफ़्का के प्रभाव
में लिखे गये फैशनी साहित्य की भरमार मिलेगी।यह सांस्कृतिक उपनिवेशवाद का एक नमूना
है‐
हम अभी तक यूरोपीय तहज़ीब में बेतरह फंसे हुए हैं‐
उदाहरण के तौर पर चीले में गृहणियां आपको कोई भी चीज-जैसे चीनी
तश्तरियां-दिखलाते हुए एक तृप्त मुस्कान के साथ बतलायेंगी कि ‘यह विदेशी है!’ चीले के लाखों घरों में सजे हुए चीनी मिट्टी के बर्तन प्रायः
आयातित होते हैं अैर वह भी निहायत घटिया कि़स्म के, जर्मनी और फ्रांस के कारखानों में बने‐
मूर्खता का यह माल उच्च कोटि का माना जाता है: इसलिए कि वह विदेश
से मंगाया जाता है‐
क्या अलग पड़ जाने की आशंका इसके लिए जिम्मेदार है?
नेरुदा: बिल्कुल पुराने जमाने में लोग और खासकर लेखक लोग क्रांतिकारी
विचारों से बहुत घबराते थे‐ इस देश में और कूबाई क्रांति के बाद विशेष रूप से,
जो चलन शुरू हुआ है, वह इसके बिल्कुल उलट है‐ लेखकों को यह डर है कि कहीं ऐसा न हो कि उन्हें अति वामपंथी
नहीं मान लिया जाये‐ ऐसे अनेक लेखक हैं जिनकी हर रचना यह जाहिर करती है कि वे साम्राज्यवाद-विरोधी
लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर हैं‐ हममें से उन लोगों को जिन्होंने लगातार वह लड़ाई लड़ी थी,
यह देखकर बहुत खुशी होती है कि साहित्य जनता की तरफ आ रहा है,
लेकिन हमारा यह भी मानना है कि अगर महज फैशन के चलते है और इसमें
लेखकों की यह आशंका भी शरीक है कि कहीं उन्हें सक्रिय वामपंथी मानने से इंकार न कर
दिया जाये, तो फिर इस तरह की क्रांतिकारिता दूर तक साथ नहीं देगी‐
और अंततः साहित्यिक जंगल में तो हर प्रकार के पशु समा ही जाते हैं ‐
एक बार जब कुछ हठी किस्म के उपद्रवियों की ओर से कई साल तक मुझ
पर प्रहार होते रहे - लगता था कि वे मेरी कविता और मेरे जीवन पर आक्रमण करने के लिए
ही जिंदा हैं - तो मैंने कहा: उन्हें अपने हाल पर छोड़ दो‐
इस जंगल में सबके लिए जगह है‐ अगर यहां हाथियों के लिए जगह है जो कि अफ्रीका और श्रीलंका के
जंगलों में इस बड़े पैमाने पर छाये हुए है, तो बेशक सारे कवियों के लिए भी है‐
क्या आपने चीले के लोकसंगीत में भी रचनाएं की हैं?
नेरुदा: कुछ गीतों की रचना की है जो इस देश में लोकप्रिय है‐
रूसी कवियों में आपको कौन अच्छे लगते हैं?
नेरुदा: रूसी कविता में अभी तक सबसे प्रमुख व्यक्तित्व मायकोवस्की
का ही है‐
रूसी क्रांति में उनकी वही हैसियत है जो उत्तर अमरीका की औद्योगिक
क्रांति के संदर्भ में वाल्ट व्हिटमैन की है‐ मायकोवस्की ने कविता को इस ढंग से अनुप्राणित किया कि लगभग समूची
कविता ‘मायकोवस्कीय’ होने लग गयी‐
अपना देश छोड़ने वाले रूसी लेखकों के बारे में आप क्या सोचते
हैं?
नेरुदा: जो लोग किसी जगह को छोड़ना चाहते हैं,
उन्हें छोड़ना चाहिए ‐ दरअसल यह एक व्यक्त्गित मसला है‐
कुछ सोवियत लेखक साहित्यिक संगठनों से या अपने राज्य से ही अपने
संबंधों को लेकर असंतुष्ट महसूस करते होंगे, लेकिन राजसत्ता और लेखकों के बीच जितनी कम असहमति मैंने समाजवादी
देशों में देखी है, उतनी कहीं नहीं है‐ अधिसंख्य सोवियत लेखकों को समाजवादी ढांचे पर,
नाजियों के खिलाफ मुक्ति की उस महान लड़ाई पर,
क्रांति और महायुद्ध में जनता की भूमिका पर गर्व है और समाजवाद
ने जिन ढांचों की रचना की है, उन पर भी‐ पर इसके कुछ अपवाद हैं, तो यह एक निजी मामला है और साथ ही ऐसे हर मामले की अलग-अलग पड़ताल
की जानी चाहिए ‐
(जारी)
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