सुनील
गांगुली की कविता
(बांग्ला से अनुवाद - लाल्टू)
बस कविता के लिए
बस
कविता के लिए है यह जीवन, बस कविता
के
लिए कुछ खेला, हूँ बस कविता के लिए अकेला इस ठंडी शाम की बेला
धरती
पार कर आना, बस कविता के लिए
एकटक
सुंदर शक्ल की शांति एकझलक
बस
कविता के लिए हो तुम स्त्री, बस
कविता
के लिए यह खूनखराबा, बादलों से यह गंगाधारा
बस
कविता के लिए, और भी लंबी उम्र जीने का जी करता है.
ज़िंदा
रहना है इंसान की तरह विक्षोभ भरा, बस
कविता
के लिए मैंने अमरता को तुच्छ है माना.
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