Wednesday, January 9, 2013

ज़िंदा रहना है इंसान की तरह विक्षोभ भरा


सुनील गांगुली की कविता
(बांग्ला से अनुवाद - लाल्टू) 


बस कविता के लिए

बस कविता के लिए है यह जीवनबस कविता
के लिए कुछ खेलाहूँ बस कविता के लिए अकेला इस ठंडी शाम की बेला
धरती पार कर आनाबस कविता के लिए
एकटक सुंदर शक्ल की शांति एकझलक
बस कविता के लिए हो तुम स्त्रीबस
कविता के लिए यह खूनखराबाबादलों से यह गंगाधारा
बस कविता के लिएऔर भी लंबी उम्र जीने का जी करता है.
ज़िंदा रहना है इंसान की तरह विक्षोभ भराबस
कविता के लिए मैंने अमरता को तुच्छ है माना.

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