अन्ना कामीएन्सका
की कवितायेँ – १
अन्ना कामीएन्स्का (१२ अप्रैल १९२०- १० मई १९८६) नामी पोलिश
कवयित्री, लेखिका, अनुवादक और साहित्य आलोचक थीं जिन्होंने बच्चों और किशोरों के
लिए भी कई पुस्तकें लिखीं.
उनका जन्म क्रस्निसटो में हुआ था और बचपन में वे लंबे समय
तक अपने दादा-दादी के साथ रहीं. पिता के असमय हुए देहांत के कारण घर की परवरिश का
ज़िम्मा माँ पर पड़ा. अन्ना के अपनी पहली कवितायेँ १४ वर्ष की आयु में रचीं. १९३७
में उन्होंने वारसा के पेडागोगिकल स्कूल में पढ़ना शुरू किया लेकिन नाजी समय में
उन्हें वापस लौटना पड़ा. लुब्लिन के एक कालेज से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने
शास्त्रीय दर्शनशास्त्र पढ़ना शुरू किया – शुरू में लुब्लिन की कैथोलिक यूनिवर्सिटी
में और उसके बाद लोड्ज यूनिवर्सिटी में.
अन्ना सांस्कृतिक साप्ताहिक पत्रिका “कंट्री” से जुडी रहीं
जिसका उन्होंने १९४६ से १९५३ तक संपादन किया. “न्यू कल्चर” नामक एक और साप्ताहिक
का संपादन उन्होंने १९५० से १९६३ तक किया. १९४८ में उन्होंने कवि, अनुवादक यान
स्पीवाक से शादी की. उनके दो बेटे हुए जिन्होंने कालांतर में पोलैंड के साहित्यिक
और शैक्षिक संसार में खासा नाम कमाया.
अन्ना और यान ने मिलकर रूसी कविता और नाटकों के अनुवादों पर
काम किया और कई किताबों का संपादन भी. १९६७ में यान को कैसर हो गया और उसी साल २२
दिसंबर को उनका देहांत हो गया. अन्ना ने अपना ध्यान ईसाई दर्शन की तरफ मोड़ दिया
जिसका असर उनकी बाद की कविताओं में मिलता है. वारसा में १० मई १९८६ को उनका
स्वर्गवास हुआ.
उन्होंने कविताओं की पन्द्रह किताबें लिखने के अलावा स्लाविक,
हिब्रू, लैटिन और फ्रेंच से कई ग्रंथों का अनुवाद किया. उनकी कविताओं में
तार्किकता और धार्मिक विश्वास के दरम्यान होने वाले अंतरसंघर्ष दर्ज है. वे
अकेलेपन और अनिश्चितता को सीधे संवेदनाहीन तरीके से संबोधित करती हैं. प्रेम, दुःख
और प्रेम की कामना जैसे विषयों का अनुसंधान करती हुई उनकी कविता फिर भी एक खामोश
ह्यूमर नज़र आता है. उनकी कविताओं में यहूदी संस्कृति और नाज़ी आक्रमण के कारण उस के
ऊपर हुए अत्याचारों और नुकसान की झलक भी नज़र आती है. उनका शुमार पोलैंड के बड़े
साहित्यकारों में किया जाता है.
भाषा को लेकर
उनके भीतर खासी सजगता थी और एक जगह उन्होंने कहा है – “शब्दों
से सबसे ज़्यादा भय उन्हें लगना चाहिए जो उनका भार पहचानते हैं - लेखक, कवि और वे जिनके लिए शब्द ही यथार्थ है”
----
मज़ेदार
कैसा होता है आदमियों जैसा होना
मुझसे चिड़िया ने पूछा
मैं ख़ुद नहीं जानती
यह अनंत तक पहुँचते हुए भी
अपनी त्वचा के भीतर क़ैद रहना है
अमरता को छूते हुए
समय के अपने टुकड़े का बंदी होना
हताशापूर्ण ढंग से अनिश्चित होना
और असहायपूर्ण ढंग से उम्मीदभरा
पाले की सुई होना
और होना मुठ्ठीभर गर्मी
सांस लेना हवा में
और निश्शब्द घुटते जाना
राख से बने हुए एक घोंसले के साथ
लपटों में जलना
रोटी खाना
और भूख को भरते जाना
आदमियों जैसा होना बिना प्यार के मरना
और मौत के ज़रिये प्यार करना होता है.
बड़ी मज़ेदार बात है चिड़िया ने कहा
और सहज उड़ती गयी ऊपर आकाश में
शब्दकोष
फूंस में सुइयों की तरह
दफ़न
कितनी कवितायेँ सोती हैं
शब्दकोशों में
गुस्से के कसे हुए जालों
में लिपटे हुए धरे
कितने कवि अभी पैदा नहीं
हुए हैं
कितनी कोमल
आत्मस्वीकृतियाँ
कितने अपमान
कितने सारे झूठ
और कौन से अनखोजे
मनुष्यहीन
रेगिस्तान खामोशियों के
फ़र्क
मुझे बताओ क्या फ़र्क होता
है
उम्मीद और इंतज़ार में
क्योंकि मेरे दिल को
मालूम नहीं
वह लगातार काटता जाता है
अपने को इंतज़ार के कांच से
और लगातार खोता जाता है
उम्मीद के कोहरे में
1 comment:
गहरी अभिव्यक्ति और सुन्दर अनुवाद
Post a Comment