जन्म स्थान
- ममांग दाई
(ममांग दाई न केवल पूर्वोत्तर बल्कि समकालीन भारतीय अंग्रेजी लेखन की एक प्रतिनिधि हस्ताक्षर है। वह पत्रकारिता ,आकाशवाणी और दूरदर्शन ईटानगर से जुड़ी रही हैं । उन्होंने कुछ समय तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में नौकरी भी की , बाद में छोड़ दी । अब स्वतंत्र लेखन । उन्हें `अरूणाचल प्रदेश : द हिडेन लैण्ड´ पुस्तक पर पहला `वेरियर एलविन अवार्ड ` मिल चुका है साहित्य सेवा के लिए वे पद्मश्री सम्मान से नवाजी गई हैं। प्रस्तुत हैं ममांग दाई की एक कविता जो उनके के संग्रह `रिवर पोएम्स´ से साभार ली गई हैं।कविता का अनुवाद सिद्धेश्वर सिंह का है. )
हम बारिश के बच्चे हैं
बादल - स्त्री की संतान
पाषाणों के सहोदर
पले है बाँस और गुल्म के पालने में
अपनी लंबी बखरियों में
हम शयन करते हैं
जब आती है सुबह तो पातें है स्वयं को तरोताजा।
हमारी उपत्यका में
कोई नहीं अजनबी - अनचीन्हा
तत्क्षण प्रकट हो जाता है परिचय
हम बढ़ते जाते है वंश दर वंश।
बहुत साधारण है हमारा प्रारब्ध।
किसी हरे अँखुए की तरह
अपनी दिशा में तल्लीन
हम अग्रसर होते हैं अपने पथ पर
जैसे चलते हैं सूर्य और चंद्र।
जल की पहली बूँद ने
जन्म दिया मनुष्य को
और रक्तिम आच्छद से हरित तने तक
विस्तारित करता रहा समीरण।
हम अवतरित हुए हैं
एकान्त और चमत्कार से।
3 comments:
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति.
आपको नवसंवत्सर की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
बहुत अच्छी सीरीज़ है .
उत्तर पूर्व भारत के साहित्य से हममें से बहुत लोग परिचित नहीं हैं। यह श्रृंखला आरम्भ कर आपने महान कार्य किया है, इसके माध्यम से हम उत्तर पूर्व भारत के लोगों, उनकी सोच, दर्शन, संस्कृति आदि के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
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