आग
-आदम ज़गायेव्स्की
मनुष्य के अधिकारों का समर्थक
शायद मैं एक साधारण मध्यवर्गीय हूँ, “स्वतंत्रता” शब्द
मुझे बहुत आसान लगता है, इसका मतलब किसी
खास वर्ग से मुक्ति जैसा कुछ नहीं.
राजनैतिक रूप से भोलाभाला, औसत
शिक्षा प्राप्त (स्पष्ट दृष्टि के संक्षिप्त क्षण
इसका मुख्य पोषक तत्व होते हैं), मैं याद करता हूँ
उस आग का धधकता आकर्षण जो
प्यासी भीड़ के कंठ सुखा देती है और किताबें
जला देती है और झुलसा कर रख देती है शहरों की त्वचाओं को.
मैं गाया करता था
इन गीतों को और जानता हूँ दूसरों के साथ दौड़ लगाना
कितना शानदार होता है; बाद मैं जब खुद मैंने,
राख का स्वाद अपने मुंह में लिए,
सुना असत्य की विडम्बना भरी आवाज़ और चिल्लाते भक्तिगीत गायकों
को
और जब मैंने छुआ अपना सिर, मैं महसूस कर सकता था
अपने देश की घुमावदार खोपड़ी को,
उसकी कड़ियल धारों को.
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