Friday, June 7, 2013

अफ्रीकी लोक-कथाएँ : ४


अफ्रीकी लोक-कथाएँ : ४


शेर और आग जलाने की लकड़ी

यह उस ज़माने की बात है जब जानवर और मनुष्य इकठ्ठे रहा करते थे. उन दिनों लोगों के पास आग इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं था. वे अपना भोजन कच्चा ही खाया करते थे. आग का इस्तेमाल सिर्फ शेर कर सकता था. वह आग पर स्वादिष्ट व्यंजन बनाया करता और किसी दूसरे को अपनी आग के नज़दीक नहीं आने देता.

आदमी और बाकी जानवरों के मिलकर एक योजना बनाई. “शेर के घर से आग लाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ताकि हम भी स्वादिष्ट खाना पका सकें?” सब के मन में यही सवाल था. उन्होंने शाम होने का इंतज़ार किया. शाम होते ही सभी ने एक दूसरे को पुकारते हुए तालियाँ बजाना और नाचना-गाना शुरू कर दिया.

आओ हमारे साथ नाचो  
आओ हमारे साथ नाचो
आओ हमारे साथ नाचो ...

इस नाच-गाने में शामिल होने को बहुत से जानवर झाडियों से बाहर निकल आए. शेर को भी लालच आ गाया और वह अपनी आग जलाने वाली लकडियाँ लेकर नाच-गाने में शामिल होने पहुँच गया. उसने इन लकडियों को घिसना शुरू किया. थोड़ी देर घिस चुकने के बाद लकडियों से धुआँ निकलना शुरू हो गया. शेर ने आग में एक फूंक मारी और थोड़ी सी सूखी हुई घास लकडियों के ऊपर रख दी. थोड़ी देर में एक नन्हीं लपट जलना शुरू हुई और हर कोई लकड़ी का एक-एक टुकड़ा ले आया. जल्दी ही सारे आग के चरों तरफ़ नाचने-गाने लगे.
खरगोश एक चालाक और तेजतर्रार जानवर था. सो लोगों ने उस से कहा: “जब तक हम यहाँ गा रहे हैं और शेर हमारे साथ नाच रहा है और उसका ध्यान बंटा हुआ है, तुम इसकी आग जलाने वाली लकडियाँ ले कर रफूचक्कर हो जाओ. जब वह तुम्हारा पीछा करेगा, हम उसकी आग बुझा देंगे.”

खरगोश ने शेर की आग जलाने वाली लकडियाँ थामीं और दौड़ लगा दी. लेकिन वह बच नहीं सका क्योंकि शेर ने जल्दी ही उसे पकड लिया और आग जलाने वाली लकडियाँ अपने कब्ज़े में कर लीं. अब शेर ने बाल वाले और बिना बाल वाले जानवरों को खाने के बारे में डींग हांकने वाला एक गीत गाना चालू किया.

मुझे नहीं है कोई दिक्कत
चाहे हों बाल तुम्हारी खाल में  
चाहे तुम हो बिना एक भी बाल
मैं खा सकता सब को
तुम सब मेरा भोजन हो
मुझे नहीं है कोई दिक्कत

हिरन बहुत तेज भाग सकता था और छलांगें भी ऊंची लगा सकता था. तब सब ने उस से कहा “जब तक हम यहाँ गा रहे हैं और शेर हमारे साथ नाच रहा है और उसका ध्यान बंटा हुआ है, तुम इसकी आग जलाने वाली लकडियाँ ले कर रफूचक्कर हो जाओ”

जब नाच-गाना चल रहा था तो हिरन ने वैसा ही किया. लेकिन तब शेर बोला: “मेरे गीत की लय पर हिरन के खुरों की टाप क्यों नहीं आ रही?”

शेर ने पलट कर देखा तो पाया कि हिरन उसकी लकड़ियों को थामे जंगल की तरफ़ भाग रहा है. सो उसने हिरन का पीछा किया और उसी तरह अपनी लकडियाँ वापस ले आया.

शेर ने डींग मारने वाला गान दुबारा से शुरू किया.

“ओह!” लोगों ने ठंडी सांसें भरते हुए कहा “अब कौन सा जानवर हमारी मदद कर सकता है? ऑस्ट्रिच के पास सबसे लंबी टांगें हैं. हमें उससे मदद मांगनी चाहिए.” उन्होंने ऑस्ट्रिच को अपनी तरकीब के बारे में बताया तो ऑस्ट्रिच ने शेर की आग जलने वाली लकडियाँ उठाकर भागना शुरू कर दिया.

“मेरे पीछे ऑस्ट्रिच की ऊंची आवाज़ क्यों बंद हो गयी?” शेर ने पलट कर देखा तो पाया कि इस बार ऑस्ट्रिच उसकी लकड़ियों को थामे जंगल की तरफ़ भाग रहा है. उसने ऑस्ट्रिच का पीछा करना शुरू किया.

कुछ देर बाद थका हुआ चेहरा लेकर शेर वापस लौटा. ऑस्ट्रिच की रफ़्तार उस से कहीं ज़्यादा थी. “आज के बाद से” गुस्साए शेर ने कहा “मैं तुम में से किसी एक भी नहीं छोडूंगा. मैं तुम्हारा पीछा करूँगा, तुम्हारा शिकार करूँगा और तुम्हें खा जाऊंगा!”

इस तरह शेर हर किसी का दुश्मन बन गया और लोगों को आग के इस्तेमाल का अधिकार हासिल हुआ.

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