-संजय चतुर्वेदी
राजनीतिक रूप से सही होने के वीभत्स संस्करण ने
साहित्य की आड़ में
अधिकाँश हिन्दी कविता की वह अंत्येष्टि की
कि विदेश मंत्रालय के कूटनीतिक बयानों से ज़्यादा बेमतलब
और उबाऊ
अगर कुछ पढ़ने का कलेजा हो
तो इस नकली कविता में प्रवेश करें.
('नया ज्ञानोदय' के सितम्बर २००५ अंक में प्रकाशित)
('नया ज्ञानोदय' के सितम्बर २००५ अंक में प्रकाशित)
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