उनका
अश्व पकड़ना साथी
-संजय
चतुर्वेदी
चालू
कला चक्रवर्ती हो
इसी
काम का यज्ञ हुआ है
इसका
अश्व पकड़ना साथी
इस
घोड़े के पीछे पीछे
छोटी
बड़ी कई सेनाएं
सभी
आधुनिक अस्त्र शास्त्र से सज्जित होकर साथ चली हैं
पूंजी
के इन कलादलालों के भीषण धाराप्रवाह में
वामपंथ
के श्रेष्ठीवर्ग की कई टुकड़ियां भी शामिल हैं
वैचारिक
मतभेद मुनाफ़े में मिलकर स्वादिष्ट हो गए
लोकतंत्र
अभिव्यक्ति कला के प्रश्नों में तुमको उलझाकर
यही
लोग यदि यज्ञ निमंत्रण पात्र बांटने घर पर आएं
उनमें
शामिल मत हो जाना
सत्ता
के गर्हित बीजक में
कभी
राम का चित्र बनाकर
या
फिर ग्लैमर की मंडी में
बड़ी
शान से सर मुंडवाकर
विधवाओं
के दुखी देश की ऐसी चमकदार तसवीरें
पीड़ा
को भी पण्य बनाने की महीन कारोबारी में
उनके
जीवन को भी देखो
उनका
होना अस्सी प्रतिशत काले धन पर टिका हुआ है
ऑडिट
होकर भी ये खाते इसी अर्थ के सेतु बने हैं
इसी
हुनर की दाद दे रहा है चेहरे का गरम मसाला
उनकी
आँखों के महीन काजल को देखो
काले
धन के खुले तमाशे में कबीर तुलसी की भाषा
चांदी
के परदे पर फैला यह आधुनिक उपनिषद अब तो
बनता
नया विश्वविद्यालय
इसके
चालू कुलपतियों के वेगवान उल्लू के पठ्ठे
सरमाए
के कूट कपट के कलातपस्वी
कभी
धर्म का कभी क्रान्ति का ध्वज लेकर हल्ला बोलें तो
ग़फ़लत
में मत पड़ना साथी
उनका
अश्व पकड़ना साथी.
(‘कथादेश’
में २००२ में प्रकाशित)
2 comments:
वाह ,बहुत सुंदर भावपूर्ण . बधाई
बढिया
बहुत बढिया
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