तस्वीर
तो आपकी है
-संजय
चतुर्वेदी
मान लिया
कि भारत माता की बात करना
आर.एस.एस.
की साज़िश है
यह भी
मान लिया कि ग़रीबी की बात करना
नक्सलियों
की साज़िश है
पता नहीं
आपने क्या पोज़ीशन ले रक्खी है
हर अच्छा
काम आपके लिए मुश्किल की तरह खड़ा हो जाता है
फिर भी
यह मान लिया
कि हर
अच्छे काम के पीछे किसी न किसी की साज़िश होती है
लेकिन
ख़ुद आपकी अपनी पोज़ीशन में
ख़ुद अपनी
नैतिकता के साथ मुंह काला करते
अगर किसी
ने आपकी तस्वीर उतार ली
तो इससे
क्या फ़र्क पड़ता है
कि
फ़ोटोग्राफ़र संघी है या नक्सली
('कल के लिए' के अक्टूबर २००४-मार्च २००५ अंक में प्रकाशित)
('कल के लिए' के अक्टूबर २००४-मार्च २००५ अंक में प्रकाशित)
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