Saturday, July 13, 2013

शर्मिला रेगे का जाना


शर्मिला रेगे नहीं रहीं. कैंसर से एक संक्षिप्त युद्ध के बाद आज उन्होंने अपनी आख़िरी सांस ली. पुणे विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ जेंडर स्टडीज़ में क्रान्तिज्योति सावित्रीबाई फुले वीमेंस स्टडीज़ सेंटर चलाने वाली और ‘राइटिंग कास्ट, राइटिंग जेंडर’ जैसी पुस्तक लिख चुकीं शर्मिला ने वर्ग, जाति, धर्म और लैंगिकता जैसे मुद्दों पर दलित दृष्टिकोण से काफ़ी सारा महत्वपूर्ण कार्य किया और वे देश के प्रमुख समाजशास्त्रियों में गिनी जाती थीं. इतनी कम आयु में उनके चले जाने से भारतीय शिक्षा के क्षेत्र का बड़ा नुकसान हुआ है.

जल्द ही आपको उनके ज़रूरी काम से अवगत कराने का प्रयास रहेगा.

कबाड़खाने की श्रद्धांजलि.   

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