जल, जंगल, जमीन को बचाने के
जितने भी वैज्ञानिक सुझाव आते हैं, सरकार हमेशा उनको दबा देती है -
(श्री शमशेर सिंह बिष्ट की फेसबुक वॉल से साभार)
मौसम विभाग
के पूर्वानुमान पर सवाल उठाते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा की
आज तो मौसम विभाग ने पिछले 48 घंटे के लिए उत्तराखंड में भारी वर्षा होने की सम्भावना
के साथ उन जनपदों के नाम तथा गढ़वाल की अपेक्षा कुमाऊँ में भारी वर्षा हाने की सम्भावना
व्यक्त कर दी है. लकिन मौसम विभाग ने 16,17 जून को क्यों नहीं चिन्हित कर के भारी वर्षा होने की सम्भावना
व्यक्त की. इस पर बहुगुणा ने मौसम विभाग के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की. मुख्यमंत्री
के इस कथन पर मौसम विभाग के निर्देशक ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की
14 जून को मौसम विभाग ने भारी वर्षा की ही जानकारी नहीं दी थी, वरन पूरी जानकारी दी थी जिसमें यह भी कहा था, चमोली जनपद
में भारी भूस्खलन भी होगा, इस लिए 16,17
व 18 जून के लिए यात्रा में भी रोक लगा दी जाय, लेकिन उत्तराखंड
सरकार ने इस चेतावनी को गम्भीरता से नहीं लिया. यह मौसम विभाग का कहना है. मुख्यमंत्री
बहुगुणा को यह अच्छा नहीं लगा की मौसम विभाग सरकारी लापरवाही को सार्वजनिक करें. इस
लिए मुख्यमंत्री ने मौसम विभाग की इस पारदर्शिता की शिकायत केन्द्र सरकार से की है,
कि भविष्य में सरकार की लापरवाही को मौसम विभाग उजागर न करें. अब मौसम
विभाग पत्रकारों को स्पष्ट जानकारी देने से बच रहा है. लगता है केन्द्र की कांग्रेस
सरकार ने, उत्तराखंड की कांग्रेसी सरकार के पक्ष में खड़ी होकर,
मौसम विभाग को अधिक ईमानदार न बनने की चेतावनी दी हो. इस लिए मौसम विभाग
पत्रकारों से बात करने से बच रहा हो.
सरकारों की
हमेशा यह मंशा रही है, उनकी लापरवाही व बेमानी पर कोई सवाल नहीं उठाये जाएं. जल, जंगल, जमीन को बचाने के जितने भी वैज्ञानिक सुझाव आते
हैं, सरकार हमेशा उनको दबा देती है क्योंकि ये सुझाव उनके निकट के जल, जंगल, जमीन लूटने वालों के विरुद्ध होते हैं. अब मौसम
विभाग पर बहुगुणा इसलिए बरसे हैं, कि उनकी कमजोरियां उजागर न
हों.
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