Wednesday, August 14, 2013

मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे


उस्ताद शुजात खान से सुनिए कबीर -

1 comment:

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

अभी तक भूपेन्द्र के गाए इस भजन के सुर ही कानों में गूँजते आए हैं ।इस इस प्रस्तुति का अपना अलग प्रभाव है ।