झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी,
कौन तार से बीनी चदरिया ॥
इङ्गला पिङ्गला ताना भरनी,
सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै,
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी,
कौन तार से बीनी चदरिया ॥
इङ्गला पिङ्गला ताना भरनी,
सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै,
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥
साँई को सियत मास दस लागे,
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढ़ी,
ओढ़ कै मैली कीनी चदरिया ॥
ओढ़ कै मैली कीनी चदरिया ॥
दास
कबीर जतन करि ओढ़ी,
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥
No comments:
Post a Comment