Sunday, September 15, 2013

दास कबीर जतन करि ओढ़ी


पंडित कुमार गंधर्व जी के स्वर में सुनिए कबीरदास जी का एक और भजन. उनके भजनों के अतिप्रिय अल्बम ‘निर्गुण के गुण’ से एकाध कबीर-भजन और सुनाने का इरादा रखता हूँ -  



झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी, 
कौन तार से बीनी चदरिया ॥
इङ्गला पिङ्गला ताना भरनी, 
सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै,
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥
साँ को सियत मास दस लागे, 
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढ़ी,
ओढ़ कै मैली कीनी चदरिया ॥

दास कबीर जतन करि ओढ़ी, 
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥

No comments: