युवा कवि बी. जे. सोलोय एक संगीत ग्रुप ‘डियर सिस्टर
किलडीयर’ में गिटार, बैंजो, वॉशबोर्ड और सूटकेस ड्रमकिट बजाते हैं. इस ग्रुप का
अल्बम ‘दिस इज़ माई हैण्ड’ इसी साल बाहर आया है. उनकी कविताएँ ‘न्यू अमेरिकन
राइटिंग’, ‘हॉर्सलैस रिव्यू’, ‘कोलोराडो रिव्यू’, ‘कोर्ट ग्रीन’, ‘कट बैंक’, ‘हेडन्स
फेरी रिव्यू’ और ‘डायाग्राम’ इत्यादि में लगातार छपती रही हैं.
घूरता हुआ जैसे मैं था किसी चमकदार तबाही में
- बी. जे. सोलोय
एक घोड़ा हुआ करता था मैं. फड़कते होठों वाला.
कपास जैसा धुधला. मेरा दिमाग़,
जैसे था, निशानेबाज़ी का अभ्यास करने वाले गोलों
में
भूसे के गठ्ठरों की तरह दागा हुआ.
मेरी हड्डियां नहीं हैं वे हड्डियां.
कूच के वक़्त खाली करते थूक के अपने दरवाज़े
यह अपहृत सरहद,
खून की
सुस्ती से भौंचक. कोई संगीत नहीं बाहर;
एक फ़ायरिंग स्क्वाड, खाली होती पुकारें.
मैंने देखे हैं बाद के दिन.
मेरी अनिद्रा, डुबोये न जा सकने वाले घाव
जिनमें किसी लेवियाथन जैसा हल्कापन है.
पसरे हुए बेहतर हैं हम
बिस्तर पर, उत्सवपूर्वक बिताते हुए
समय को बीते समय को दफनाते एक मज़ार में.
तुम अपनी जगमग ब्रेज़ियर्स में
मैं उठती हुई लोहे की गंध में.
एक लम्बा ज़रूरी दिन था आज
आज आग हम थे कूदते हुए
राजमार्गों पर, घास खाते
ताकि उल्टी कर सकें. समझ रहे हो,
मैं तबाही को नहीं गाना चाहता.
यक़ीन करो अगर कर सको तो मेरी आँखों
के गिर्द जड़ पकड़ रही रेखाओं पर, यह सादगीभरी
कृत्रिमता.
यह लुढ़कती है लहरों पर, गाती है अपनी आप.
बगैर नींद के रात भर
जगाये जाने का इंतज़ार करते हुए, मैंने इकठ्ठा
किया है
अपने माफ़ किये जाने लायक पापों का बढ़िया ढेर
और पानी की एक नांद.
तुम्हारा माइग्रेन, गलतियाँ करने की मेरी आदत,
बेहतर है हम शादी कर लें;
बिगाड़ दें एक प्रियतर लाल रंग को.
थकी हुई बहना, चली जाओ अगर जा सको तो,
लेकिन मशाल का अपना गीत साथ लेती जाओ,
अब, सचमुच, फिर से नया. गाते हैं झींगुर
“झींगुर, झीं-गुर” वगैरह.
1 comment:
खुबसूरत अभिवयक्ति......
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