Tuesday, October 22, 2013

रामनाथ सिंह और हामिद अली खान के जन्मदिन हैं आज

आज दो जन्मदिन हैं –

दोनों अपने अपने इलाके में बेजोड़

पहले रामनाथ सिंह उर्फ अदम गोंडवी. उनकी दो रचनाएं -

१. घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फागुन की नशीली है

भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है

बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है

सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास हो कैसे
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है

२. चाँद है ज़ेरे-क़दम , सूरज खिलौना हो गया

चाँद है ज़ेरे-क़दम. सूरज खिलौना हो गया
हाँ, मगर इस दौर में क़िरदार बौना हो गया

शहर के दंगों में जब भी मुफलिसों के घर जले
कोठियों की लॉन का मंज़र सलोना हो गया

ढो रहा है आदमी काँधे पे ख़ुद अपनी सलीब
जिंदगी का फ़लसफ़ा जब बोझ ढोना हो गया जिंद

यूँ तो आदम के बदन पर भी था पत्तों का लिबास
रूह उरियाँ क्या हुई मौसम घिनौना हो गया

अब किसी लैला को भी इक़रारे-महबूबी नहीं
इस अहद में प्यार का सिंबल तिकोना हो गया.

दूसरे हामिद अली खान उर्फ़ अजी यानी बॉलीवुड के लॉइन –

उनका एक बढ़िया इंटरव्यू हाथ लगा है. बस पांच मिनट दीजिये -

1 comment:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

वाह-वाह, तबियत खुश कर दी आपने इन दोनों से मिलवा कर।

काजू भुनी है प्लेट में, व्हिस्की गिलास में
आया है रामराज विधायक निवास में

अदम जी का मशहूर शेर याद आ गया।