Thursday, October 17, 2013

बाबा का सपना, पुरातत्व की नई परिभाषा और महादेश का सर्रियल रियलिटी शो

मुझे बाबा के सपने से कुछ लेनादेना नहीं. न उस एक हज़ार टन सपनीले सोने से जिसे खोद, खोजकर देश एक साल तक सोना आयात नहीं कराने वाला है.

बतौर कबाड़ी मैं इस दिलचस्प वाक़ये को सिर्फ़ अपने वास्ते इस ब्लॉग पर रेकॉर्ड भर कर ले रहा हूँ ताकि एक साल बाद जब इस पोस्ट को पढूं तो ज़रा ज़्यादा मौज आये.

वैसे बाबा और पुरातत्व विभाग को ऑल द बेस्ट कह लेने में क्या हरज है?

नीचे की रपट बिजनेस स्टैण्डर्ड से साभार ली गयी है-


एक पुराने महल में 1,000 टन सोना दबे होने के एक साधु के सपने के बाद सरकार इसकी खोज में लग गई है। इस साधु ने अपने सपने के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को पत्र लिखा था।

उत्तर प्रदेश में पुरातत्व विभाग के प्रमुख प्रवीण कुमार मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के खेरा में पुरातत्व विभाग की एक टीम आई है जो शुक्रवार से खुदाई शुरू कर देंगी। योगी स्वामी शोभन सरकार ने कहा है कि जिस सोने के भंडार का सपना उन्होंने देखा है कि वह 19 शताब्दी के शासक राव राम बक्ष सिंह का है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि सोना सरकार के हाथों में चला जाए, ताकि भारत को आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिले। सिंह ने एक अखबार को बताया, 'मैं उस दिन काफी रोया और महसूस किया कि भारत आर्थिक रूप से धराशायी होने जा रहा है। यह देश के लिए छुपा खजाना है”.

सभी हिंदू साधु मंदिरों में जमा सोना आरबीआई के पास जमा करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। हरेक दिन भारत के लोग औसतन 2.3 टन गोल्ड खरीदते हैं, जो एक छोटे हाथी के वजन के बराबर होता है। इनका एक बड़ा हिस्सा जमा रहता है। इससे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है, क्योंकि भारत में कुछ ही सोने की खाने हैं। 31 मार्च 2013 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत में सोने का आयात 54 अरब डॉलर रहा था जिससे देश का चालू खाता घाटा काफी बढ़ गया था।

साधु ने जितने टन सोने के भंडार का सपना देखा है उससे भारत एक साल तक सोने का आयात नहीं करेगा और इसकी कीमत कम से कम 40 अरब डॉलर होगी।

पुरातत्व विभाग महल के बगल में 100 वर्गफुट में दो जगह खुदाई करना चाहता है। मिश्रा ने हालांकि कहा कि अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं है कि दौंडिया खेरा गांव में सोने का कोई भंडार छुपा है। उन्होंने कहा, 'हम यह पता करने के लिए कि वाकई सोने का कोई भंडार है, अब भी उस स्थान की तलाश कर रहे हैं। फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है”.


फ़ोटो – साभार दैनिक भास्कर)

1 comment:

मुनीश ( munish ) said...

देखिए मैं पहले भी इस विषय में वक्तव्य मयख़ाने पे दे चुका हूँ जिसका शीर्षक था बाबाओं के देश में । चूंकि लोगों ने उसे सीरियसली लिया नहीं तो मैंने मयख़ाने को अपनी बमचिक अलबम का रूप दे डाला ।