Monday, October 21, 2013

किते सीया ऐ किते सुन्नी ऐ किते जटाधार किते मुन्नी ऐ


उस्ताद नुसरत और बाबा बुल्ले शाह की रचनाओं की जुगलबंदी सीरीज की अंतिम पेशकश फ़िलहाल – "बेहद रम्ज़ा दसदा मेरा ढोलन माही" ( यानी कितने ही रहस्यों को उजागर करता है मेरा प्यारा महबूब)





No comments: