Monday, October 21, 2013

हम भूल गए शरद को और हम भूल जाएंगे अपने मालिकों को - पॉल एलुआर की कवितायेँ - ४


नवम्बर १९३६

देखो काम कर रहे हैं खंडहर निर्माता
वे रईस हैं, धैर्यवान, चुस्त, काले और बदसूरत
लेकिन धरती पर अकेले बने रहने के लिए वे हर तरकीब करते हैं
आदमी से अलग-थलग, वे धूल का ढेर लगा देते हैं आदमी के ऊपर
तोड़ मोड़ कर कोठियों को चौरस बना देते हैं वे बगैर सोचे.

आपको हर चीज़ की आदत पड़ जाती है
सिवा इन भारी चिड़ियों के
सिवा चमकीली चीज़ों के लिए उनकी नफ़रत के
सिवा उनके लिए रास्ता बनाने के.

आसमान की बातें करो तो ख़ुद को खाली कर देता है आसमान
शरद का कोई ख़ास मतलब नहीं
हमारे मालिकों ने अपने पैर पटके
हम भूल गए शरद को
और हम भूल जाएंगे अपने मालिकों को.

ख़त्म होता हुआ एक शहर, बख्श दी गयी पानी की एक बूँद से बना एक समुन्दर
खुली धूप में तराशे गए एक हीरे से बना
मैड्रिड एक परिचित शहर उनके लिए जिन्होंने यातनाएं भोगीं
इस भयानक आशीर्वाद से जिसमें एक मिसाल तक पर पाबंदी
वे जिन्होंने यातनाएं भोगीं   
उस अत्याचार से जिसकी इस आशीर्वाद की चमक को ज़रूरत है.

लौटने दो मुंह को अपने सच की तरफ
किसी टूटी ज़ंजीर की तरह फुसफुसाओ एक दुर्लभ मुस्कान
पाने दो आदमी को निजात उसके बेमतलब बीते समय से
उठने दो अपने भाई के सामने उसे दोस्ताना चेहरे के साथ
और दो उसे विवेक के आवारागर्द डैने.


१९३६

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