Friday, November 8, 2013

मैं अपनी युवावस्था से इस तरह बच भागा जैसे आप एक पागलखाने से भागते हैं

अन्ना कामीएन्स्का की डायरी से 

यानूस कोरचाक

अपनी एक रेडियो वार्ता में यानूस कोरचाक ने कहा : “मैं अपनी युवावस्था से इस तरह बच भागा जैसे आप एक पागलखाने से भागते हैं.” [यानूस कोरचाक (१८७८-१९४२) पोलैंड के मशहूर शिक्षाशास्त्री, बच्चों की किताबों के लेखक और बाल चिकित्सा विशेषज्ञ थे. पोलैंड में इस लाजवाब शख्सियत को “मिस्टर डॉक्टर या ओल्ड डॉक्टर के नाम से याद किया जाता है.]

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कोरचाक – “छोटी छोटी दिक्कतें इस लायक नहीं होतीं कि उनके लिए रोया जाए. जब बड़ी दिक्कतें आती हैं आप रोना भूल जाते हैं.”

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मैं कोरचाक के सपने देखती हूँ. उस से ऑब्सेस्ड हूँ. मैं रोज उसके शब्दों और उसके बारे में बनाई जाने वाली कहानियों के मार्फ़त उस से मिलती हूँ. मुझे उसकी उपस्थिति वैसे ही महसूस होती है जैसे मेरे अपने प्रिय मृतकों की. और इस सारे पर फक़त एक कविता.

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यानूस कोरचाक (“ईश्वर के साथ दो-दो हाथ”):

धन्यवाद, सर्जक, कि तुमने सूअर बनाए और लंबी सूंड वाले हाथी, कि तुमने पत्तियों और दिलों को रेशा-रेशा कर दिया, कि तुमने जड़ों को मिठास दी. कोयलों और पिस्सुओं के लिए धन्यवाद. कि लड़कियों के पास स्तन होते हैं, कि मछलियाँ सांस लेती हैं हवा में, कि हमारे पास बिजलियाँ और चेरियाँ हैं. कि तुमने हमें आदेश दिया कि हम तमाम सनकभरे तरीकों से कई सारे हो जाएँ, कि तुमने पत्थरों, समुद्रों और मनुष्यों को विचार प्रदान किये.

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एल. आर. के साथ कोरचाक के ‘सीनेट ऑफ मैडमैन’ के मंचन की बाबत वार्तालाप: हम उस सब को छाँटेंगे जिसका कोई विरोध न करे – सलेटी और फीका. हम खुद अपनी कैद में हैं. हम अपने मूल्यों को न तो छाँटेंगे न उनसे जुड़े रहेंगे, इस की जगह हम विचार करेंगे – क्या हम कर सकेंगे ऐसा? सेंसर वाले क्या कहेंगे? सो हमारे हाथ बंधे हुए हैं और हमारी संस्कृति मर रही है.

1 comment:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...