Sunday, November 3, 2013

केवल धरती, सूर्य, और मैं ...


आज इतवार है

-नाज़िम हिकमत

आज इतवार.
आज वे मुझे पहली दफ़ा धूप में ले कर आये.
और मैं बस खड़ा रहा वहां, जीवन में पहली बार इस बात पर भौंचक्का
कि कितनी दूर है आसमान,
कितना नीला
और कितना विस्तृत.
तब मैं इज्ज़त देता हुआ बैठा ज़मीन पर.
पीठ लगाई दीवार पर.
एक क्षण के लिए फंस जाने को कोई फंदा नहीं,
न संघर्ष, न स्वतंत्रता, न बीवी.
केवल धरती, सूर्य, और मैं ...
ख़ुश हूँ मैं.


(जेल में लिखी एक कविता)

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