आज सुबह दुबई में
शानदार अभिनेता और शालीन इंसान फारुख़ शेख़ का दिल का दौरा पड़ने से देहांत हो गया.
सत्यजित राय की ‘शतरंज के खिलाड़ी’, सई परांजपे की ‘चश्म-ए-बद्दूर’, सागर सरहदी की ‘बाज़ार’
और मुज़फ्फर अली की ‘उमराव जान’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके फारुख़ शेख़ ने अपनी एक
अलग छाप छोड़ी थी और १९७० और १९८० के दशकों के समानांतर सिनेमा का वे एक जाना
पहचाना चेहरा थे.
समझ में नहीं आता अभी
इस वक्त और क्या लिखा जाय.
कबाड़खाना अपनी श्रद्धांजलि
प्रस्तुत करता है.
3 comments:
श्रद्धांजलि। वे एक शानदार अभिनेता थे, शानदार इंसान। उनके व्यक्तित्व में जो गरिमा थी, उस पर बॉलीवुड का फूहड़पन कभी असर नहीं डाल सका।
श्रद्धांजलि !
शानदार आदमी थे । दो ही बार देखा और दोनों बार प्रगति मैदान में टहलते हुए । बढ़िया चिकनकारी का कुर्ता पायजामा पहने थे , जूते बहुत ही चमकदार काले थे और वो आराम से घूम रहे थे । फ़िल्म कथा में एक चालू दोस्त का उनका रोल हमेशा याद रहेगा । उनके जैसे लोगों को ड्यू नहीं मिला और यही बात दीप्ति नवल के बारे में है । है ना ।
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