Thursday, December 26, 2013

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़िन्दगी – दुर्लभ नुसरत


... तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन ...

उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान से सुनिए अल्लामा इक़बाल का क़लाम – एक्सक्लूसिव कबाड़! फ़ुर्सत में सुनने की कोई पौन घंटे लम्बी रचना.

2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह !
आभार !

ब्लॉग - चिट्ठा said...

आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (26 दिसंबर, 2013) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।

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