२० अप्रेल १९२० को जन्मीं विख्यात गायिका
जूथिका रॉय का बीती पांच फरवरी को कलकत्ता में देहांत हो गया. भारतीय संगीत में एक
महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली जूथिका जी ने १९३२ में महज़ १२ साल की आयु में अपना
पहला अल्बम रेकॉर्ड कराया था.
बचपन से ही गायन शुरू कर देने वाली
इस गायिका ने काज़ी नजरुल इस्लाम के लिए भी गया और मशहूर बंगाली संगीतकार कमल
दासगुप्ता के लिए भी. क़िस्सा है कि १९३० के दशक के अंतिम सालों में कमल दासगुप्ता के लिए जूथिका रॉय ने एक नात
रेकॉर्ड की जिसने दासगुप्ता को इस क़दर प्रभावित किया कि उन्होंने इस्लाम क़ुबूल कर
लिया. जूथिका रॉय के प्रशंसकों में महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू शामिल थे.
हालांकि जूथिका रॉय ने कई बंगाली और हिन्दी फिल्मों के लिए गाने गाये पर शोहरत
उन्हें भजनों ने, खासतौर पर मीराबाई के भजनों ने दिलवाई.
इस महान गायिका को कबाड़खाना
श्रद्धांजलि प्रस्तुत करता है. आपके लिए उनकी गाई एक होली लगा रहा हूँ जो कभी इस ब्लॉग पर पोस्ट की गयी थी.
1 comment:
श्रद्धांजलि !
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