Wednesday, May 7, 2014

अल्लाह से मिलने वाली मोहब्बत सबसे टॉप लेवल की मोहब्बत है - कादर ख़ान का एक लंबा साक्षात्कार - 4

(पिछली क़िस्त से आगे)


बुरा वक़्त

कादर ख़ान – मैं करीब २४ का था. तब मैं अपनी माँ से मिलने दोपहरों को जाया करता था. वे मुझसे वापस आ जाने को कहती थीं. मैं मना कर दिया. मैं तुम्हारे प्यार के लिए आता हूँ. मेरे भीतर एक आत्मसम्मान है जो मुझे यहाँ आने से रोकता है. मैंने उस से कहा कि मैं वहाँ इस लिए नहीं आना चाहता कि मैं नहीं चाहता वो आदमी मुझे बेइज़्ज़त करे. जब वह मुझे बेइज़्ज़त करता है तो मुझे लगता है वह तुम्हें बेइज़्ज़त कर रहा है. कई सालों तक ऐसे ही रहा. फिर मेरी शादी का दिन आया. यह आदमी काम भी किया करता था और एक बेहतरीन बढ़ई था. अगर वह चाहता होता तो बहुत पैसा बना सकता था. लेकिन उसकी संगत खराब थी. उसके दोस्त उसे शराबखानों में ले जाते थे. वह दारू पीता था. शराब पीता था, आता था, हंगामा करता था, माँ को मारता था, सब गालियाँ देता था. और जब मैं छोटा था वह मुझसे कहता था “जा अपने बाप से पैसे मांग के ला.” तो कभी कभी मैं अपने पिताजी के पास जा कर खड़ा हो जाया करता.

“क्या है?”

“दो रुपये चाहिए.”

“मैं कहाँ से लाऊँ? मैं मुश्किल से छः रुपये कमाता हूँ.”

खैर. वे मुझे दो रूपये दे देते. उन पैसों से में थोडा आटा, दल, घी या तेल ले जाया करता. तब जाकर माँ डाल रोटी बनाती और हम खाना खाते.  हफ्ते में दो दिन में तीन दिन में एक बार भूखा रहना पड़ता था, फाका करते थे न – ये ज़िन्दगी में सब कुछ देख लिया है!  इन सारी चीज़ों में मुझे विद्रोही बना दिया. और मैंने कहीं से साहित्य वगैरह पढ़े बिना लिखना शुरू कर दिया.


और मुझे एक अच्छे अध्यापक के तौर पर ईनाम दिया गया क्योंकि मैं जो कुछ करता उसे प्यार से करता था. मुझे माँ बाप के अलावा किसी का प्यार नहीं मिला. तो प्यार का वो इलाका ख़ाली था. मैं ऐसे स्कूल कॉलेज में पढ़ा जहां लडकियाँ नहीं होती थीं. सो किसी तरह का कोई अनुराग नहीं, कोई मोहब्बत नहीं. हर किसी को माँ-बाप का प्यार चाहिए होता है. सच बात है. लेकिन उसके भीतर भी एक कोई शैतान होता है. आपको अल्लाह से भी मोहब्बत  मिलती है. वह सबसे टॉप लेवल की मोहब्बत है. लेकिन इंसान टॉप लेवल नहीं होता. वह पहाड़ की चोटी पर नहीं घाटी में रहता है. सो एक इंसान को प्यार चाहिए होता है. लेकिन प्यार होता कहीं नहीं, सो उस सारे प्यार को मैंने विद्रोह की तरफ मोड़ दिया. मैं लिखा करता था. मैं तीखी पंक्तियाँ लिखा करता था. तीखे नाटक.

(जारी)