राष्ट्रगीत
- रघुवीर सहाय
राष्ट्रगीत
में भला कौन वह
भारत-भाग्य-विधाता
है
फटा सुथन्ना
पहने जिसका
गुन हरचरना
गाता है.
मखमल टमटम
बल्लम तुरही
पगड़ी
छत्र चंवर के साथ
तोप छुड़ाकर
ढोल बजाकर
जय-जय
कौन कराता है.
पूरब-पश्चिम
से आते हैं
नंगे-बूचे
नरकंकाल
सिंहासन
पर बैठा,
उनके
तमगे कौन
लगाता है.
कौन-कौन
है वह जन-गण-मन
अधिनायक
वह महाबली
डरा हुआ
मन बेमन जिसका
बाजा रोज
बजाता है.
2 comments:
वाह :)
वह प्रारब्ध है , पूर्वजन्मों का कर्मफल है जिसके चलते कवि को और तुमको , मुझको यहाँ जन्म मिला । हमें सत्कर्म करने चाहिएं ताकि आने वाले जन्म सुधरें चूंकि ये जगह तो खुद बापू न सुधार पाए ।
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