Sunday, May 4, 2014

डरा हुआ मन बेमन जिसका बाजा रोज बजाता है


राष्ट्रगीत

- रघुवीर सहाय

राष्ट्रगीत में भला कौन वह
भारत-भाग्य-विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका
गुन हरचरना गाता है.

मखमल टमटम बल्लम तुरही
पगड़ी छत्र चंवर के साथ
तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर
जय-जय कौन कराता है.

पूरब-पश्चिम से आते हैं
नंगे-बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा,
उनके
तमगे कौन लगाता है.

कौन-कौन है वह जन-गण-मन
अधिनायक वह महाबली
डरा हुआ मन बेमन जिसका
बाजा रोज बजाता है.


2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह :)

मुनीश ( munish ) said...

वह प्रारब्ध है , पूर्वजन्मों का कर्मफल है जिसके चलते कवि को और तुमको , मुझको यहाँ जन्म मिला । हमें सत्कर्म करने चाहिएं ताकि आने वाले जन्म सुधरें चूंकि ये जगह तो खुद बापू न सुधार पाए ।