Saturday, August 16, 2014

कि मौत भी हमें ले जाते हुए काँपे

आज चार्ल्स बुकोव्स्की का जन्मदिन है. १६ अगस्त १९२० को जर्मनी में जन्मे अमेरिकी कवि, उपन्यासकार, और लघु कथा लेखक चार्ल्स बुकोव्स्की का लेखन लॉस एंजेल्स के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन से प्रभावित रहा. उनके लेखन में गरीब अमेरिकियों के साधारण जीवन, लेखन की क्रिया, अल्कोहल, स्त्रियों से सम्बन्ध और काम की बोझिलता जैसे विषय बार-बार आते हैं. बुकोव्स्की ने हजारों कविताएँ और सैकड़ों लघुकहानियाँ तो लिखीं ही, छः उपन्यास भी उनके खाते में हैं. अपने जीवनकाल में उन्होंने कोइ साथ किताबें प्रकाशित कीं. लॉस एंजेल्स के अंडरग्राउंड से छपने वाले एक अखबार में छपी उनकी रचना डायरी ऑफ़ अ डर्टी ओल्ड मैनके छपने के बाद एफ़बीआई ने बाकायदा उनकी एक फ़ाइल रखना शुरू कर दी थी.

उन्हें याद करते हुए उनका एक उद्धरण-


जो ईश्वर पर भरोसा करते हैं, उनके ज़्यादातर बड़े सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं. लेकिन हममें से जो आसानी से ईश्वर के फ़ॉर्मूले को स्वीकार नहीं कर पाते, उनके लिए बड़े उत्तर पत्थर में खुदे नहीं रह जाते. हम नई परिस्थितियों और नई खोजों में खुद को ढाल लेते हैं. हम बहुत लचीले होते हैं. प्यार को कोई आदेश या कोई यकीन या कोई घोषणा होने की ज़रुरत नहीं. मैं खुद अपना ईश्वर हूँ. हम यहाँ उस सारे को भूलने आये हैं जो हमें गिरजाघर, राज्य और शिक्षा प्रणाली ने सिखाया है. हम यहाँ बीयर पीने आये हैं. हम तमाम मुसीबतों पर ठहाके लगाने आये हैं और अपने जीवन को इतने अच्छे से जीने कि मौत भी हमें ले जाते हुए काँपे.”   

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