- माज़ेन
मारूफ़
मेरा चेहरा
ईसा मसीह के
चेहरे से मिलता-जुलता हो सकता है
लेकिन
मैं एक लकड़हारा
नहीं हूँ
जो अपनी
हड्डियों से
बनाऊँ एक सलीब
और लटका दूं उस
पर अपना शरीर
प्रयोगशाला के
किसी गंदे कोट की तरह.
एक दिन
मैं ख़ाली करूंगा
अपना मुंह
मुस्कराहटों से
और क्रूरता के
साथ
उन्हें कुचल
दूंगा
ठीक जिस तरह एक
बच्चा कुचलता है
मेरे फेफड़ों के
भीतर की भयाक्रांत सांस को,
वहां,
उन तंग गलियारों
में
जहाँ
होता यह है
कि आपको मिलती
है एक अकड़ी हुई चिड़िया
एक रंगीन पिन से
ठुकी हुई
यकीन करती हुई
कि वह एक शाख पर बैठी है
और यह कि जल्द
ही बारिश गिरेगी
एक हाथ खोलेगा
खिड़की
उसे मुक्त करने
को
खांसने की दीर्घ
लहरों से
जो अभिशप्त किये
हैं मुझे.
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