रॉबर्ट ब्लाई (जन्म: 23 दिसम्बर १९२६) |
आज के ही दिन यानी २३ दिसंबर को १९२६ में
जन्मे अमेरिकी कवि रॉबर्ट ब्लाई की एक कविता का अनुवाद पेश है –
तीन हिस्सों में कविता
1.
अलस्सुबह सोचता हूँ जियूँगा हमेशा-हमेशा
के लिए!
अपनी प्रसन्न देह में लिपटा हुआ हूँ
जिस तरह घास लिपटी होती है हरे के अपने
बादलों में.
2.
एक बिस्तर से उठता हूँ जिस पर मैंने
सपना देखा
क़िलों और गरम कोयलों की बगल से
घुड़सवारी करते गुज़रने का
सूरज ख़ुशी-ख़ुशी लेटा है मेरे घुटनों
में;
मैंने रात को भुगता है और बच निकल आया
हूँ
घास के किसी भी तिनके की तरह, नहाया
हुआ काले पानी में.
3.
एल्डर वृक्ष की मज़बूत पत्तियाँ
हवा में गोता लगातीं, आमन्त्रण देती
हैं
ब्रह्माण्ड के जंगलों में ग़ायब हो जाने
का,
जहाँ हम बैठेंगे एक पौधे के पैरों तले
और जियेंगे हमेशा जैसे धूल.
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