Thursday, December 18, 2014

यों ही घंटी बजाने से कोई अतिथि नहीं हो जाता

आर्थर हॉपकिन की पेंटिंग 'द विज़िटर'

अतिथि

-अजंता देव

नहीं जानती
तुम्हारा क़द
चेहरा और नाम
क्या पता
कैसा गीत गाते हो
या बिलकुल नहीं

पीते हो अगर
तो कौन सी शराब
आदमी को क्या समझते हो

तुम्हारे कोट पर कहाँ की धूल है
इसे कब ख़रीदा था
तुमने या तुम्हारे पिता ने

क्या करते हो प्रेम
नदियों के किनारे बिताये हैं कुछ दिन

क्या विचार हैं लडकियों के बारे में
तुम्हारे हाथों में थैला किताबों  का है या बम का

यों ही घंटी बजाने से
कोई अतिथि नहीं हो जाता

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