Friday, January 30, 2015

हॉलीवुड नौस्टेलजिया - 3 - एवा गार्डनर


(पिछली कड़ी से आगे)

कुछ समय बाद अर्नेस्ट हेमिंग्वे की कहानी पर आधारित फिल्म ‘द किलर्स’ में गार्डनर को बार्ट लैंकास्टर के साथ काम करने का मौका मिला. एवा का पहना काला साटिन गाउन जल्दी ही एक आइकन बनने जा रहा था. जिन भी दृश्यों में ये दोनों साथ होते थे, उनमें एवा का जादू सर चढ़ कर बोला था. उनकी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति बेहद ताकतवर होती थी, लेकिन उनके व्यक्तित्व में कुछ ऐसा था कि पुरुष उसके आकर्षण के पाश में बंध जाया करते थे और हर स्त्री उनसे अपने आप को जोड़ कर देखने लगती थी. इस फिल्म के बाद वे एक स्टार बन गईं और दर्शकों को उनके कई रूप देखने को मिले – एमजीएम के तत्कालीन बादशाह अभिनेता क्लार्क गेबल के साथ ‘द हकस्टर्स’ में उनकी प्रेमिका, ‘वन टच ऑफ़ वीनस’ में जीवित हो गयी देवी और ‘शो बोट’ जैसी म्यूजिकल में जूली लावर्न का किरदार. लेकिन उनका व्यक्तिगत जीवन एक बार फिर हिचकोले खा रहा था. एवा को फ्रैंक सिनात्रा के रूप में अपने सपनों का प्रेमी मिल गया था जिनका करियर उनकी पहली मुलाकात के समय उतार पर था. सच यह है कि उस समय एवा फ्रैंक से बड़ी स्टार थीं लेकिन उनकी मोहब्बत में यह बात बहुत छोटी थी. सिनात्रा अब भी नैन्सी के साथ शादीशुदा जीवन बिता रहे थे जिनसे उनके दो बच्चे थे. अपनी रोमन कैथोलिक पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण सिनात्रा तलाक नहीं ले पा रहे थे. सो एवा को कुटुंबभंजक की ख्याति मिली और खुद सिनात्रा की सार्वजनिक छवि म्लान होने लगी. इस तरह का शुरुआती तनाव झेलने के बाद जैसे ही १९५१ में सिनात्रा को तलाक मिला, ठीक बहत्तर घंटे बाद दोनों ने शादी रचा ली. एवा को फ्रैंक “फ़रिश्ता” कहकर सम्बोधीय किया करते थे.
           
फ्रेंक सिनात्रा के साथ

जहां एवा का करियर अपनी ऊंचाइयों पर था, सिनात्रा गुज़रे ज़माने की चीज़ बन चुके थे. लेकिन जब १९५३ में ‘फ्रॉम हेयर टू एटर्निटी’ का प्रोजेक्ट बना तो एवा ने अपनी सारी जोड़तोड़ कर फिल्म सिनात्रा को दिला डी जिसमें उन्हें मैजियो नामक सिपाही का रोल करने को मिला और जिसके लिए उन्हें बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल का ऑस्कर मिला और जिसके बाद वे हॉलीवुड में एल गाथा बन जाने की राह पर चल निकले. इस दौरान एवा गर्भवती हो गईं लेकिन उन्होंने अवैध रूप से गर्भपात करवा लिया. एवा ने तब बहाना बनाया था कि वे दोनों बच्चे की ज़िम्मेदारी ले सकने में असमर्थ थे लेकिन बाद के सालों में दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए लिया कि वे फ्रैंकी से बेतरह नफ़रत करती थीं और अपने बच्चे को संसार में आने ही नहीं देना चाहती थीं. यह कहना कि उनका सम्बन्ध बेहद तूफ़ानी रहा था, सच्चाई को छोटा बनाना होगा. सिनात्रा अपनी पत्नी से ईर्ष्या करते थे और उनके चरित्र पर शक करते थे. वहीं एवा को शराब पीने की भयानक लत थी. कहना न होगा यह शादी भी अंततः असफल साबित हुई. एक समय ऐसा आया था जब अपनी पत्नी से परेशान होकर सिनात्रा ने कई बार आत्महत्या करने की धमकी दे डाली थी. गार्डनर के पास फोन आते थे जिनमें कभी कभी बीच किसी वाक्य के गोली चलने की आवाज़ आती थी या सिनात्रा के चमचे उनसे कहते थे कि फ्रैंक ने अपना सर तंदूर में घुसा दिया है. ये बातें कितनी सच थीं कोई नहीं जानता लेकिन सिनात्रा पर जिस तरह का नियंत्रण एवा का रहा, वैसा किसी और स्त्री का नहीं था. १९५७ में अपने तलाक के बाद भी वे ताजिंदगी अच्छे दोस्त बने रहे. सच्चाई यह है कि सिनात्रा बहुत बूढ़े हो जाने पर भी एवा से मोहब्बत करते रहे.

इतने सारे ऑफ़-स्क्रीन नाटकों के बीच भी एवा ने एक मज़बूत अभिनय करियर बनाए रखा. यह और बात थी कि फिल्मों में भी उनकी किरदार वही सफल रहा जो वे असल ज़िन्दगी में मानी जाती थीं – विध्वंसक स्त्री. १९५३ में क्लार्क गेबल के साथ उनकी फिल्म ‘मोगैम्बो’ उन्हें ऑस्कर पुरूस्कार के लिए नामित करा गयी. इसके बाद उन्हें ‘द बेयरफुट कंटेसा’ में मुख्य भूमिका मिली. इस फिल्म की अभिनेत्री को नंगे पैर चलने का शौक था जैसा कि खुद एवा को अच्छा लगता था. इस फिल्म में हम्फ्री बोगार्ट एक मिसमैच ही नज़र आये थे. इसके अलावा उन्हें ‘भवानी जंक्शन’ (१९५६), ‘ऑन द बीच’ (१९५९) और ‘द नाईट ऑफ़ द इगुआना’ (१९६४) के लिए आलोचकों की सराहना मिली. ‘द नाईट ऑफ़ द इगुआना’ में तो उन्हें अपने करियर के सबसे अच्छे रिव्यू मिले क्योंकि इस में उन्होंने मेकप को पूरी तरह त्यागकर दर्शकों को अपना वास्तविक सौन्दर्य दिखाया.  

एवा अर्नेस्ट हेमिंग्वे की बहुत अच्छी दोस्त थीं और उन्हीं के बारबार व्हिस्की पी सकती थीं . ‘द किलर्स’ के अलावा उन्होंने हेमिंग्वे की कहानियों पर बनी दो और फ़िल्में कीं – ‘द स्नोज़ ऑफ़ किलीमंजारो’ (१९५२) और ‘द सन आल्सो राइजेज़’ (१९५७).

अर्नेस्ट हेमिंग्वे और उनकी पत्नी के साथ

अपनी तीसरी शादी की असफलता के बाद वे हॉलीवुड से उकता गईं और स्पेन चली गईं जहाँ की संस्कृति – खासतौर पर बुलफाइटिंग आयर फ्लेमेंको नृत्य - ने उन्हें गहरे छुआ. स्पेन को भी उनसे प्यार हो गया. १९९८ की गर्मियों में तोसा दे मार नामक गाँव में उनके सम्मान में उनकी कांसे की प्रतिमा स्थापित की गयी – इसी गाँव में उन्होंने १९५१ में ‘द फ़्लाइंग डचमैन’ की शूटिंग की थी. दस साल बाद वे स्पेन से लन्दन आ गईं जहाँ उन्होंने चीज़ों की रफ़्तार कम करने का काम किया. एमजीएम द्वारा “खोजे” जाने के बाद से ही उनका जीवन सतत उतार-चढ़ावों से भरपूर रहा था और वे अपनी तबीयत खराब हो जाने के बावजूद अभिनय करती रहीं. उनकी खराब आदतों ने उनके शरीर को तबाह कर दिया था और वे समय से पहले बूढ़ी लगने लगी थी. १९८५ में उन्होंने अपनी अंतिम परफोर्मेंस दी थी.

बुलफाइटिंग के मैदान में
विख्यात बुलफाइटर लुई मिगेल दोमिन्गिन के साथ
२५ जनवरी को अत्यधिक धूम्रपान के कारण न्यूमोनिया के कारण अपनी मृत्यु से पहले एवा ने अपनी आत्मकथा ‘एवा: माई स्टोरी’ लिखी. सिनात्रा ने, जो इस पूरे समय एवा के इलाज़ का पूरा खर्च गुप्त रूप से उठा रहे थे, उनके अंतिम संस्कार का भी पूरा प्रबंध किया, क्योंकि उनके जीवन के अंतिम वर्ष फाके और गरीबी के थे.

एवा गार्डनर संग्रहालय
यह सिनात्रा का उस स्त्री को दिया गया अंतिम तोहफा था जिसने उन्हें “आयम अ फ़ूल टू वांट यू” जैसा गीत लिखने की प्रेरणा दी थी.

एवा का आख़िरी घर

एवा को स्मिथफील्ड के सनसेट मेमोरियल पार्क में अपने माता-पिता और सम्बन्धियों की कब्रों की बगल में दफनाया गया अलबत्ता उनके जीवन पर बना संग्रहालय १९८१ में जनता के लिए खोल दिया गया था.

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