लन्दन फुटबॉलर्स और अल्फ गावर की टीमों के बीच हुए एक चैरिटी मैच में अपनी पारी समाप्त करने के बाद पैविलियन लौटते रेक्स एल्स्टन |
अपनी
शानदार शैक्षिक पृष्ठभूमि के चलते कई सालों के अपने कमेंट्री करियर में रेक्स
एल्स्टन क्रिकेट की स्पष्ट, शुद्ध और सटीक आवाज़ बने रहे. उनके साथी कमेंटेटरों जॉन
आर्लट और ब्रायन जॉनस्टन की सनकों और मूडी व्यक्तित्वों को बैलेंस करने का काम
रेक्स एल्स्टन साल-दर-साल करते रहे.
बीबीसी
के आउटसाइड ब्रॉडकास्ट के साठ साल पूरे होने के मौके पर १९८५ में एक शानदार डिनर आयोजित
किया गया था. उसके दौरान रेक्स बेहोश होकर गिर पड़े थे. अगले दिन ‘द टाइम्स’ में
जॉन वुडकॉक ने श्रद्धांजलि लिखी : “रेक्स एल्स्टन जिनका कल ८४ साल की आयु में
देहांत हुआ, शालीन व्यवहार वाले एक शिष्ट खेल कमेंटेटर थे जिनकी टक्कर के लोग अब
दिखाई नहीं देते.”
ऐसा
नहीं कि एल्स्टन की सिवा अपने से किसी से कोई दुश्मनी वगैरह थी. अपनी ‘मौत’ के बाद
उन्हें एक परामानवीय अनुभव हुआ जिसमें वेस्टमिन्स्टर हस्पताल में स्वास्थ्यलाभ
करते हुए उन्हें उनकी नर्स ने उन्हें उन्ही की श्रद्धांजलि अखबार में छपी हुई
दिखाई थी और जिसे उन्होंने “मजाकिया और अतिरंजित” बतलाया था.
१९८६
में एल्स्टन ने दोबारा विवाह किया – संभवतः समाचारपत्रों के इतिहास में वे इकलौते व्यक्ति
थे जिनकी दो ख़बरें इस क्रम में छपीं – पहले मृत्यु फिर एक साल बाद शादी.
रेक्स
एल्स्टन सिर्फ इसी एक वाकये की वजह भर से विख्यात नहीं हैं.
१९०१
में जन्मे रेक्स खुद अच्छे खिलाड़ी थे. एथलेटिक्स में कैम्रिज ब्लू की हैसियत से
उन्होंने १९३२ में बेडफ़ोर्डशायर काउंटी क्रिकेट क्लब की कप्तानी करने के साथ साथ
बेडफ़ोर्ड एयर पार्क रग्बी क्लबों के लिए विंग्स में हिस्सा लिया था. बीबीसी में
बिलेटिंग ऑफिसर की नौकरी करने से पहले वे १९२४ से १९४१ तक वे बेडफ़ोर्ड स्कूल में अध्यापक
रहे थे. जल्द ही उनकी साफ़ सुथरी आवाज़ को “पहचाना” गया और इस बात पर सहमति बनी कि
शासकीय काम में उनकी प्रतिभा का बर्बाद होना कोई अच्छी बात नहीं.
उन्हें
कई खेलों में योग्यता हासिल थी सो ब्रॉडकास्टिंग के पेशे में उन्होंने शानदार काम
किया – वे एथलेटिक्स, रग्बी, टेनिस और क्रिकेट की कवरेज करने लगे. विम्बलडन में
नियमित कमेंट्री के अलावा उन्होंने १९५६ के ओलिम्पिक्स में भी यह काम बखूबी किया,
लेकिन ख्याति उन्हें क्रिकेट ने दिलाई – एक शानदार कमेंटेटर के रूप में.
१९४५
के विक्ट्री टेस्ट्स में उन्होंने हावर्ड मार्शल के साथ क्रिकेट कमेंट्री की
शुरुआत की जब वे देखना चाहते थे कि बॉल-बाई-बॉल कमेंट्री होती कैसी है. जब मार्शल
को उनकी व्यस्तताओं के चलते एक महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए लन्दन बुला लिया गया तो
हॉट सीट पर उन्हें बैठना पड़ा. क्रिकेट कमेंट्री के शौकीनों के लिए इस सीरीज में की
गयी उनकी कमेंट्री के कुछ अंश आज भी सुने जा सकते हैं. लॉर्ड्स में कीथ मिलर की
हिटिंग के वर्णन के कुछ शानदार अंश सुनने लायक हैं.
१९४०
के दशक के अंत तक क्रिकेट कमेंट्री बेहद लोकप्रिय हो चुकी थी. हावर्ड मार्शल की
मसरूफियत के चलते जॉन आर्लट और ई. एम. (जिम) स्वान्टन के साथ रेक्स एल्स्टन के जुड़
जाने पर बीबीसी की सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट कमेंट्री टीम तैयार हुई. ब्रायन
जॉनस्टन जो उन दिनों टीवी से जुड़े हुए थे, जल्द ही इस टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने
वाले थे.
बीबीसी
के आउटसाइड ब्रॉडकास्ट सैक्शन के निर्देशक सेमूर दे लॉत्बीनियरे ने हावर्ड मार्शल
के साथ मिलकर पहले ही रेडियो क्रिकेट कमेंट्री के “कमांडमेंट्स” तैयार कर लिए थे,
जिन्हें आज भी तकरीबन जस का तस माना जाता रहा है. लेकिन उन दिनों में इस बारे में
बहुत कम लोगों को इस बारे में ज़रा भी आइडिया था कि खेल रुक जाने की सूरत में क्या
किया जाए.
एल्स्टन
याद करते हैं: “१९४८ के एक टेस्ट में साढ़े ग्यारह बजे पहली गेंद फेंकी जानी थी और
हमारे पास पंद्रह मिनट थे. बेहद खराब दिन था और बादल छाये हुए थे और हमने बातें
करना शुरू किया – हमने मतलब मैंने और आर्लट ने. और हम बातें करते रहे और तब अम्पायर्स
बाहर निकले, उन्होंने आसमान की तरफ निगाह की और फिर वापस चले गए. कवर्स लगा दिए
गए. इस सब में अच्छा खासा समय लगा. कवर्स निकाले हुए पांच मिनट बीते थे कि अम्पायर
फिर से आये और आसमान की तरफ निगाह डालकर वापस चले गए. हम दोनों अब भी बातें करने
की कोशिश कर रहे थे. हमें नहीं मालूम था किया क्या जाए. ऊपर से यह भी था कि हमारी टीम
पहली बार ऑस्ट्रेलिया के लिए बॉल-बाई-बॉल कमेंट्री कर रही थी. तो हमें दो-दो
मालिकान को जवाब देना था. खैर मैं हैडफोन लगाए था. अचानक मुझे हैडफोन पर खीझे हुए
ब्रौडकास्ट हाउस का आदेश सुनाई दिया: ‘खुदा के लिए, वापस स्टूडियो आ जाओ.’ तो हमने
वैसा ही किया. क्या करते!”
(जारी)
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