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स्कॉटलैंड में पॉल रॉब्सन |
पॉल रॉब्सन अमेरिका के विख्यात गायक, अभिनेता, एथलीट,
विद्वान और मानवाधिकारों के पक्षधर थे जिन्होंने उस दौर में ख्याति
पाई जब अमेरिका में रंभेद अपने चरम पर जा पहुंचा था और अश्वेतों को चुन-चुन कर
हिंसा का शिकार बनाया जा रहा था.
८ अप्रेल १८९८
को प्रिंसटन न्यू जर्सी में जन्मे पॉल रॉब्सन पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे.
उनके पिता एक भगौड़े गुलाम थे जो अपनी मेहनत से लिंकन विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन
कर सकने में कामयाब हुए थे. उनकी माता एक दासता-विरोधी क्वेकर सम्प्रदाय से
ताल्लुक रखने वाले परिवार से थीं. रॉब्सन के परिवार को मुसीबतों में रहने और उन पर
फतह हासिल करने की आदत थी. पॉल का जीवन भी खासा चुनौतीभरा था.
१९१५ में
रजर्स कॉलेज ने पॉल रॉब्सन को चार साल की छात्रवृत्ति स्वीकृत की. वे एक अच्छे
खिलाड़ी थे और अपने साथी खिलाड़ियों की रंगभेदी हिंसा के बावजूद उन्होंने बेसबाल,
बास्केटबाल, डिस्कस थ्रो, शॉटपट और जेवलिन थ्रो में कुल पंद्रह वार्सिटी कलर्स हासिल करने के साथसाथ
दो दफा आल अमेरिकन फुटबाल टीम में जगह पाई. खेलों में तमाम गौरव हासिल कर चुकने के
बावजूद उनकी इन उपलब्धियों को उनकी मौत के 19 साल बाद
स्वीकार किया गया जब उन्हें कॉलेज के फुटबाल हॉल ऑफ़ फेम में जगह दी गयी.
१९२० से १९२३
के दरम्यान उनकी मुलाक़ात एस्लांडा कोर्डोजो गूड से हुई जिन्हें अमेरिका के इतिहास
में किसी भी पैथोलोजी लैब की प्रथम अश्वेत महिला प्रमुख होने का सम्मान प्राप्त
है. दोनों ने विवाह भी कर लिया. उन्होंने कानून की एक फार्म में नौकरी करनी शुरू
की लेकिन जब एक दफा एक गोरे सेक्रेटरी ने उनसे डिक्टेशन लेने से मना किया तो
उन्होंने नौकरी छोड़ दी. वकालत छोड़कर उन्होंने अभिनय और गायन को अपना करियर बनाने
का फैसला किया जिनमें उनकी प्रतिभा छात्र जीवन से ही ज़ाहिर हो चुकी थी.
१९२० के दशक
में पॉल ने यूजीन ओ'नील के नाटकों 'एम्परर जोन्स'
और 'ऑल गॉडस चिलन गॉट विंग्स' में अभिनय किया. १९३० में लन्दन के एक रंगमंच पर जब उन्होंने शेक्सपीयर के
ऑथेलो का रोल किया तो वे रातोंरात अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि के व्यक्ति बन गए. इसी
किरदार के लिए १९४४ में उन्हें डोनाल्डसन अवार्ड फॉर बेस्ट परफॉर्मेंस से नवाज़ा
गया. उन्होंने 'शोबोट' में जो का रोल
किया और "ओल्ड मैन रिवर" गीत के बोलों को बदलने का काम किया. मूल
संस्करण में शब्द थे - "आयम टायर्ड ऑफ़ लिविंग एंड स्केयर्ड ऑफ़ डाइंग
..." पॉल ने इन शब्दों के स्थान पर उद्घोष किया - "आई मस्ट कीप
फाइटिंग अन्टिल आयम डाईंग ..."
पॉल रॉब्सन ने 11
फिल्मों में काम किया जिनमें 'बॉडी एंड सोल'
(१९२४), 'जेरिको' (१९३७)
और 'प्राउड वैली' (१९३९) शामिल थीं.
अपनी तमाम यात्राओं के बाद पॉल रॉब्सन ने पाया कि
रंगभेद यूरोप में उतना अधिक नहीं था जैसा अमेरिका में उन्हें बचपन से देखने को
मिला था. घर पर उन्हें ऐसे रेस्तरां खोजने में दिक्कत होती थी जहां अश्वेतों को
खाना परोसा जाता हो. थियेटरों में उन्हें केवल ऊपरी बालकनियों में बैठने की आज़ादी
थी.
पॉल रॉब्सन के पास एक गहरी आवाज़ भी थी जिसे उन्होंने शांति और न्याय के
गीत गाने में लगा दिया. उन्होंने दुनिया भर में पच्चीस ज़बानों में गीत गाये और
अपने जीवनकाल में ही विश्वनागरिक माने जाने लगे थे. उनके दोस्त मॉस्को से लेकर
नैरोबी और हार्लेम तक फैले हुए थे. उनके सबसे करीबी दोस्तों में अफ्रीकी नेता जोमो
केन्याटा, जवाहरलाल नेहरू, एमा गोल्डमान, जेम्स जॉयस और अर्नेस्ट हेमिंग्वे
शामिल थे. १९३३ में जब हिटलर के नात्सी जर्मनी से यहूदियों को भगाया जा रहा था,
रॉब्सन ने 'ऑल गॉडस चिलन गॉट विंग्स' की सारी कमाई गरीब यहूदियों के लिए दान कर दी. स्पानी गृहयुद्ध के समय
१९३९ में हुई एक रैली में उन्होंने घोषणा की: "कलाकार को स्वाधीनता के लिए
संघर्ष और पराधीनता में से एक को चुनना होगा. मैंने अपना चुनाव कर लिया है. मेरे
पास और कोई विकल्प भी नहीं था." १९३८ में उन्होंने स्पेन जाकर हस्पतालों और
मोर्चों पर जाकर गीत गाये.
१९४० के दशक में पॉल रॉब्सन ने जातिभेद और रंगभेद के खिलाफ अपना
युद्ध जारी रखा. वे सदा शान्ति और श्रम के पक्ष में खड़े रहे. वे दुनिया भर में
मजदूरों की रैलियों, सेमिनारों, सम्मेलनों
में भाग लेते थे, भाषण देते थे, गाने
गाते थे और आर्थिक सहायता भी दिया करते थे. अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता के मुखर
समर्थक पॉल ने अमेरिका और रूस के बीच मैत्री के लिए अथक कार्य किया.१९४६ में वे 'अमेरिकन क्रूसेड अगेंस्ट लिन्चिंग' के मुखिया बनाए
गए. उनके बयान बहुत स्पष्ट और मुखर होते थे जिसके कारण हाउस अनअमेरिकन एक्टिविटीज़
कमिटी (HUAC) ने उन्हें कम्यूनिस्ट करार दिया. इसके जवाब में
पॉल रॉब्सन ने कहा था कि वे समाजवाद के समर्थक हैं और HUAC को ऐसी संस्था समझते हैं जो देशों और मनुष्यों के बीच अंतर्राष्ट्रीय
सौहार्द कायम करन में लगे लोगों की अभिव्यक्ति पर लगाम लगाने का काम
करती है.
HUAC के इस आरोप के बाद उनका
करियर तकरीबन समाप्ति पर आ गया था. उनकी साठ कंसर्ट्स रद्द कर दी गईं, और १९४९ में राज्य पुलिस की उपस्थिति के बावजूद उनकी दो कंसर्ट्स पर
दंगाइयों के हमला बोला. रॉब्सन का जवाब था: "मैं वहां-वहां गाऊंगा जहां-जहां
लोग मुझे सुनना चाहते हैं. मुझे कंसर्ट हॉल्स में आग लगाकर कोई डरा नहीं सकता.
१९५० में
अमेरिकी सरकार ने उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया. आठ साल की लड़ाई के बाद वे उसे
दुबारा हासिल कर सके. इन आठ सालों में पॉल रॉब्सन ने चीनी भाषा सीखी,
आइन्स्टाइन से मुलाक़ात कर विश्वशांति की बाबत बातचीत की, अपनी आत्मकथा 'हेयर आई स्टैंड' लिखी और कार्नेगी हॉल में गाया.
इस दौरान दो
उल्लेखनीय घटनाएं घटीं.
१९५२ की
शुरुआत में माइन, मिल एंड स्मेल्टर्स यूनियन ने उनकी चार वार्षिक
कंसर्ट्स को स्पांसर किया जिनमें ४०,००० से अधिक लोगों की
भीड़ उमड़ी. १९५७ में उन्होंने न्यूयॉर्क से वेल्स के कोयला मजदूरों के लिए
ट्रांस-अटलांतिक टेलीफोनिक कंसर्ट दी. १९६० में उन्होंने अपनी अंतिम विदेशी
कंसर्ट्स न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में दीं. १९६३ में खराब स्वास्थ्य के चलते
उन्हें सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेना पडा.
२३ जनवरी १९७६
को ७७ साल की आयु में फिलाडेल्फिया में उनकी मृत्यु हुई. ९ अप्रेल १९९८ को हज़ार से भी अधिक अमेरिकी केन्द्रों में उनकी जन्मशताब्दी
मनाई गयी.
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