“हम दोहरे मूल्यों वाले संसार
में जी रहे हैं. यह किसी वाइरस की तरह हमारे जीवन में उतरता जाता है, हमें रह रोज़
और अधिक कमज़ोर बनाता हुआ. एक समाज के तौर पर हम खुद अपने बारे में सोचना भूल गए
हैं. हमें बताया जाता है कि हम क्या खाएं, क्या पहनें और किसके साथ सम्भोग करें.
मेरे बनाए सेरामिक शिल्पों
को देखकर कुछ लोगों को झटका लगता है कुछ वितृष्णा से भर जाते हैं. मैं तो आपको वह
दिखाना चाहता हूँ जो हम असल में सोचते हैं या एक तरह से जिसकी वासना करते हैं. मेरा
काम किसी को सदमा पहुंचाना नहीं है क्योंकि मैं मानता हूँ कि मेरी बनाई किसी भी कृति
में कोई शॉक वैल्यू नहीं है. मैं मानता हूँ मेरी कला सच्ची और ईमानदार है. अगर
मेरे काम को देखकर किसी से वैसी प्रतिक्रया मिलती है तो मुझे लगता है मैंने उसकी
कमज़ोर नस को छेड़ दिया है और मैं अपने आप से कहता हूँ ‘बहुत बढ़िया’. मैं दोहरे
मूल्य रखने वाले लोगों के सामने ऐसी सुन्दर कृतियाँ रख देना चाहता हूँ कि वे उससे
अपनी आँखें न हटा सकें.”
यह कहते हैं बोस्टन में रहने
वाले शिल्पकार क्रिस रिकार्डो. आज देखिये उनका काम -
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