फ़ोटो: रोहित उमराव |
फेसबुक पर इन दिनों होली काव्य महोत्सव चल रहा है कबाड़ी मृत्युंजय के हाँ. वहीं से कुछ माल इकठ्ठा करके भेजा है स्वयं कवि-कबाड़ी ने. थैंक्यू मृत्युंजय!
कल होली भर मौज लेने के लिए सुबह सात बजे पुनः इस अड्डे पर तशरीफ़ लावें.
फ़ोटो: रोहित उमराव |
फगुवा-1
आ
गइलें आ गइलें आ गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा आ गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा आ गइलें हो
सखी
मिली दहीबरा गुझिया बनावें
अमिया पोदीना महका गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा...
अमिया पोदीना महका गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा...
लाल
पीयर हरियर अ भंटहवा पोति के
उज्जर दाँत चमका गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा...
उज्जर दाँत चमका गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा...
खनन-खन्न
हवा बहे टेसू के बाग में
तहियावल सपन उधरा गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा...
तहियावल सपन उधरा गइलें हो
सखी फागुन के दिनवा...
फ़ोटो: रोहित उमराव |
फगुवा-2
अँखिया
भर धीरज भेज सखी,
रंगरेज सखी रंगरेज सखी ...
रंगरेज सखी रंगरेज सखी ...
पछुवां
रस बाउर डोल रही, कोइलिया
कैसे क बोल रही
तोर देस-देहात बड़ा जुलुमी सूलिया उपरा धरे सेज सखी
रंगरेज सखी रंगरेज सखी...
तोर देस-देहात बड़ा जुलुमी सूलिया उपरा धरे सेज सखी
रंगरेज सखी रंगरेज सखी...
होलिया
के दिना नगिचाई गए, सब
नाचत गावत आइ गए
मैं अकेली घरे रंग घोरि खड़ी, फगुवा करकावे करेज सखी
रंगरेज सखी रंगरेज सखी...
मैं अकेली घरे रंग घोरि खड़ी, फगुवा करकावे करेज सखी
रंगरेज सखी रंगरेज सखी...
गंभीर चिन्तनरत मृत्युंजय |
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