अगर मेरी आवाज़ तुम तक नहीं पहुँच रही है
-अफ़ज़ाल अहमद सैय्यद
अगर मेरी आवाज़ तुम तक
नहीं पहुँच रही है
तो गूँज को शामिल करो
उसमें –
पुराने महाग्रंथों की
गूँज
उसमें शामिल करो –
एक शहज़ादी
और शहज़ादी में – अपनी ख़ूबसूरती
और अपनी ख़ूबसूरती में –
एक महबूब का दिल
और महबूब के दिल में –
एक खंज़र
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