Sunday, January 24, 2016

बहुत कुछ झोंक देती है वह साँवली औरत


लहर
-लाल सिंह दिल

वह
साँवली औरत
जब कभी बहुत खुशी से भरी
कहती है –
“मैं बहुत हरामी हूं!

वह बहुत कुछ झोंक देती है
मेरी तरह
तारकोल के नीचे जलती आग में
मूर्तियाँ
किताबें
अपनी जुत्ती का पाँव
बन रही छत
और
ईंटें ईंटें ईंटें.


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