देना !
- नवीन सागर
- नवीन सागर
जिसने मेरा घर जलाया
उसे इतना बड़ा घर
देना कि बाहर निकलने को चले
पर निकल न पाये.
जिसने मुझे मारा
उसे सब देना
मृत्यु न देना.
जिसने मेरी रोटी छीनी
उसे रोटियों के समुद्र में फेंकना
और तूफान उठाना.
जिनसे मैं नहीं मिला
उनसे मिलवाना
मुझे इतनी दूर छोड़ आना
कि बराबर संसार में आता रहूं.
अगली बार
इतना प्रेम देना
कि कह सकूं: प्रेम करता हूं
और वह मेरे सामने हो .
उसे इतना बड़ा घर
देना कि बाहर निकलने को चले
पर निकल न पाये.
जिसने मुझे मारा
उसे सब देना
मृत्यु न देना.
जिसने मेरी रोटी छीनी
उसे रोटियों के समुद्र में फेंकना
और तूफान उठाना.
जिनसे मैं नहीं मिला
उनसे मिलवाना
मुझे इतनी दूर छोड़ आना
कि बराबर संसार में आता रहूं.
अगली बार
इतना प्रेम देना
कि कह सकूं: प्रेम करता हूं
और वह मेरे सामने हो .
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