Friday, January 22, 2016

वे हर मकान को अपने मकान की याद में देखते हैं


नवीन सागर (29 नवम्बर 1948 - 14 अप्रैल 2000)
संदिग्ध 
- नवीन सागर 


इस शहर में 
जिनके मकान हैं वे अगर 
उनको मकानों में न रहने दें 
जिनके नहीं हैं 
बहुत कम लोग मकानों में रह जायेंगे. 

जिनके मकान हैं 
वे 
मजबूती से दरवाजे बंद करते हैं 
खिड़की से सतर्क झांकते हैं
ताले जड़ते हैं 
सुई की नोक बराबर भूमि के लिए लड़ते हैं.

जिनके मकान नहीं हैं 
वे 
बहार से झांकते हैं 
दरवाजों पर ठिठकते हैं 
झिझकते हुए खिड़कियों से हटते हैं 
जिनके मकान नहीं हैं 
वे हर मकान के बाहर संदिग्ध हैं 
वे हर मकान को अपने मकान की याद में देखते हैं.

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