वीदा गाबोर के बूढ़े, बच्चे और मुटल्ली औरतें अब एक तरह से उनका ट्रेडमार्क माने जाते हैं.
हंगरी के एक साधारण कामकाजी घर में जन्मे वीदा गाबोर (1937-1999) को बचपन से ही संगीत में अभिरुचि थी. उन्हें हंगरी की एक प्रतिष्ठित संगीत स्कॉलरशिप भी मिली और उन्होंने बांसुरी वादन में निपुणता हासिल की. 1956 में उन्होंने बुडापेस्ट फिलहार्मोनिक ऑपेरा में फ्लूट सोलोइस्ट के रूप में काम करना शुरू किया और वे इससे अगले 25 साल तक जुड़े रहे. हालांकि उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में संगीत और प्रस्तरशिल्प को ज्यादा महत्त्व दिया लेकिन 1977 में उन्होंने फ़ैसला किया कि वे सिर्फ पेंटिंग किया करेंगे. वे एक परफेक्शनिस्ट थे और तमाम ललित कलाओं में उन्होंने उत्कृष्टता के नए पैमाने गढ़े.
हंगरी के एक साधारण कामकाजी घर में जन्मे वीदा गाबोर (1937-1999) को बचपन से ही संगीत में अभिरुचि थी. उन्हें हंगरी की एक प्रतिष्ठित संगीत स्कॉलरशिप भी मिली और उन्होंने बांसुरी वादन में निपुणता हासिल की. 1956 में उन्होंने बुडापेस्ट फिलहार्मोनिक ऑपेरा में फ्लूट सोलोइस्ट के रूप में काम करना शुरू किया और वे इससे अगले 25 साल तक जुड़े रहे. हालांकि उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में संगीत और प्रस्तरशिल्प को ज्यादा महत्त्व दिया लेकिन 1977 में उन्होंने फ़ैसला किया कि वे सिर्फ पेंटिंग किया करेंगे. वे एक परफेक्शनिस्ट थे और तमाम ललित कलाओं में उन्होंने उत्कृष्टता के नए पैमाने गढ़े.
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