Sunday, February 14, 2016

मिस्टर योस्सी की पश्चिमी जर्मनी यात्रा – 3


(पिछली क़िस्त से आगे)

रात में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सोवियत संघ और पूर्वी यूरोप पार करके दिल्ली से आया विमान बदली और फुहार वाली जाड़े की एक सुबह फ्रांकफुर्त्त हवाई अड्डे पर उतर रहा है. विराट हवाई अड्डा जहाँ रोजाना छह सौ फ्लाइट आती-जाती हैं. जिसे और बढ़ाने की योजनाएँ हैं. योजनाएँ, जिनके विरोध में जर्मन युवक प्रदर्शन कर रहे हैं. 

पतली लम्बी एक अधेड़ प्लेटिनम ब्लाण्ड (सफेद से सुनहरे से बालों वाली स्त्री) श्रीमती एरिका न्यूबर्ट मुझे लिवाने आई हैं. वह विवाहित हैं कि नहीं यह पूछना पड़ा है क्योंकि जर्मनी में किशोरावस्था पार की हुई किसी भी औरत को कुमारी कहने का रिवाज नहीं है. विवाहित-अविवाहित वे सब फ्राउहोती हैं, फ्राउलीन नहीं. और इधर नारी-मुक्ति आन्दोलन के प्रभाव में वहाँ भी औरतों ने नाम के आगे केवल एम.एस. लगाना शुरू कर दिया है-उच्चारण म्यूज. एरिका हवाई अड्डे के विस्तार का विरोध करने वाले इन नाशुक्रोंसे बहुत खफा हैं.

उनका कहना है कि इन्हें समाजवाद के नाम पर बैठे-बिठाए रोटी तोड़ने को मिल गई है. इन्होंने जाना नहीं है कि दुःख किसे कहते हैं, यन्त्रणा कैसी होती है. बस गाँजे का दम लगाया, एक झण्डा उठाया और प्रगति का विरोध करने निकल पड़े. मुझे इनसे नफरत है मिस्टर योस्सी. क्षमा करेंगे मैं बहक गई. और आपकी यात्रा कैसी रही ?

फ्रांकफुर्त्त से रेलगाड़ी में हाइडलबर्ग जाते हुए एरिका से बातें हुईं. युद्ध से पहले या युद्ध के दौरान जन्मे हर जर्मन की कहानी की बुनियाद में पीड़ा होती है. एरिका के पिता एरिका की आँखों के सामने बमबारी में मारे गए. एरिका की माँ ने अपनी बच्ची की खातिर दुबारा विवाह नहीं किया और फिर युवती एरिका ने काफी अर्से तक अपनी बीमार माँ की खातिर अपना विवाह टाले रखा. विलम्ब से उसने विवाह किया एक ऐसे समझदार और सुयोग्य व्यक्ति से जो उसकी माँ की देखभाल करने के लिए तैयार था, किन्तु माँ उनके साथ नहीं आई. एरिका को कोई बच्चा नहीं हुआ. उसके पति रासायनिक इंजीनियर हैं और वह स्वयं अब विशुद्ध गृहिणी है क्योंकि शादी करने मगर गृहिणी न बनने का कोई मतलब नहीं होता मिस्टर योस्सी.एरिका अपना फालतू समय क्रिश्चेन डेमोक्रेट दल का काम करने, साहित्य पढ़ने (नहीं लिखा कभी नहीं, मुझे अपनी प्रतिभा के बारे में कोई मुगालता नहीं मिस्टर योस्सी) और विभिन्न संस्थाओं के लिए दुभाषिए, अनुवादक और होस्टेस का काम करने में लगाती हैं. कोई बच्चा गोद क्यों नहीं ले लिया ? ‘गोद ही लेना हो, मातृत्व का इतना ही शौक हो तो एक क्यों मिस्टर योस्सी ? कम से कम आधा दर्जन. अभी इतना पैसा नहीं कि आधा दर्जन बच्चे पाल सकूँ. होगा तो जरूर गोद लूँगी.

एरिका ने साहित्य का विस्तृत अध्ययन किया है. और उसकी विचाराधारा ऐसी है जिसे अनुदारअथवा दक्षिणपन्थीकहा जाता है. इससे कुछ अचरज होता है क्योंकि दक्षिणपन्थी व्यक्ति आमतौर से पोंगे और अनपढ़-से होते आए हैं. आधुनिकता और उदारता हमारे लिए पर्यायवाची रहे हैं. किन्तु इधर पश्चिमी देशों में ऐसी भी बिरादरी पनपी है जो आधुनिक होते हुए भी अनुदार है, बुद्धिजीवी होते हुए भी दक्षिणीपन्थी है. एरिका इसी नव-अनुदारवादीबिरादरी की सदस्या निकलीं. इस बिरादरी को जैसे समाजवाद के अन्तर्गत निठल्ले लोगों की सहायता करना और फिर उनका प्रगति-विरोध सहना बुरा लगता है, वैसे ही मानवीयता के अन्तर्गत तीसरी दुनिया के काहिल लोगों की मदद करना और फिर उनकी पश्चिम-विरोधी बातें सुनना.

जाहिर है कि एरिका से बहुत बहस होनी थी और हुई. तीसरी दुनियाबनाम सम्पन्न पश्चिमइस बहस का जर्मनी और यूरोप के दो अन्य देशों की यात्रा में मुझे कई बार सामना करना पड़ा. मेरी यह धारणा बनी कि तेल की कीमतें बढ़ाए जाने के बाद पश्चिमी देशों को जिस आर्थिक संकटका सामना करना पड़ा है उसमें तीसरी दुनिया के प्रति उनकी सहानुभूति बहुत कम हो गई है. बहस में हम तमाम तर्क तीसरी दुनिया की ओर से दे सकते हैं-आप हमें लूट कर ही सम्पन्न बने हैं, आप हमारी मदद करते हैं तो मानवीयता के नाते नहीं, शुद्ध व्यावसायिक कारणों से अपना तैयार माल खपाने के लिए, हमारा कच्चा माल लेने के लिए, आपने अपने उद्यमों के लिए हमारा श्रम, हमारी प्रतिभा हमारे प्राकृतिक साधन लिए हैं. लेकिन सारी बहस के बाद यह अकाट्य तथ्य रह जाता है कि सहायता लेने हम ही पहुँचे हैं. 


(जारी)

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