Wednesday, February 10, 2016
वही खरा प्रेम चाहिए मुझे
खरा
प्रेम
-आदेलिया प्रादो
मुझे बस खरा प्रेम चाहिए.
खरे प्रेम में वे नहीं देखते एक दूसरे को.
विश्वास की तरह एक बार उसके मिल जाने के बाद
आध्यात्मिकता का कोई अंत नहीं रहता.
पुराने जूतों की तरह कड़ियल, खरा प्रेम होता है मरियल, सैक्स
का भूखा,
और उसके उतने बच्चे होते हैं जितनों की आप कल्पना कर सकते
हैं.
न बोलने की भरपाई वह चीज़ों को कर के करता है.
वह समूचे घर में बो देता है तीन रंगों वाले चुम्बन,
कत्थई और सफ़ेद
साधारण और सघन दोनों तरह की इच्छाएं.
भला होता है खरा प्रेम क्योंकि वह बूढ़ा नहीं होता.
उसका ध्यान लगा रहता है ज़रूरी बातों पर, जो उसकी आँखों में
चमकता है वह ये है –
मैं आदमी हूँ तुम औरत.
कोई भ्रम नहीं होते खरे प्रेम के पास,
वही खरा प्रेम चाहिए मुझे.
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