दो-ढाई साल की उम्र से गाना शुरू कर देने वाले और
मात्र चौदह साल की नन्ही आयु में स्वर्गवासी हो गए मास्टर मदन की प्रतिभा का लोहा
स्वयं कुन्दन लाल सहगल ने भी माना था. उनका जन्म २८ दिसम्बर १९२७ को जलन्धर के एक गांव
खानखाना में हुआ था, जो प्रसंगवश अकबर के दरबार की शान अब्दुर्ररहीम खानखाना की भी
जन्मस्थली था.
अपने भावपूर्ण गायन से वे
अपने श्रोताओं को रुला दिया करते थे. इतनी नन्ही उम्र में संतों जैसा उनका गायन सुनकर आप भी एक अलग भाव-अवस्था में पहुँच जाते हैं. ५ जून १९४२ को हुई असमय मौत से पहले उनकी आवाज़ में आठ रेकॉर्डिन्ग्स हो चुकी थीं - तीन ग़ज़लें, तीन भजन और दो पंजाबी गीत. कबाड़खाने के चाहनेवालों के
लिए ये आठों रेकॉर्डिन्ग्स प्रस्तुत हैं. इन्हें
डाउनलोड भी किया जा सकता है.
1 comment:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "सठ सन विनय कुटिल सन प्रीती...." " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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