1. ब्रज मंडल देस दिखाओ रसिया
ब्रज मंडल देस दिखाओ रसिया
तेरे ब्रज में नारि बहुत हैं
छोटी-छोटी नारि सुघड़ रसिया
तेरे ब्रज में गाय बहुत हैं
भली भली गाय सुघड़ बछिया
तेरे ब्रज में दूध बहुत है
पीकर दूध भई पठिया
तेरे ब्रज में धान बहुत हैं
फटकें धान कुटें रसिया
तेरे ब्रज में भात बहुत है
पकावें नारि छकें रसिया
तेरे ब्रज में गीत बहुत हैं
गावें नारि सुनें रसिया
2. आली धूम मची ब्रज-कुंजन में
आली धूम मची ब्रज-कुंजन में
फूले टेसू, निकसे अम्बा
भंवर गुंजारत बन-बन में
आओ गोरी खेली लो होरी
हो मतवाली फागुन में
केसर के सब रंग बने हैं
छिड़कत हैं सब सखियन में
फागुन मास सुहावन लागो
उड़त गुलाल सबन तन में
मोर मुकुट पीताम्बर पहने
खेले कन्हैया सखियन में
बाजत ताल मृदंग सुहावन
गावत आज सुरागन में
मंदिर-मंदिर से ग्वालिन आके
भूली रही हैं जोबन में
नटवर श्याम रंगीलो मोहन
करत सुआनंद बातन में
आली धूम मची ब्रज कुंजन में
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