शहर सुनो जा गो रसिया
शहर सुनो जा गो रसिया
जब रसिया अंगना पर बैठो,
भूंक उठी दुश्मन कुतिया
जब रसिया देहली पर बैठो,
खांस पड़ी बैरन बुढ़िया
जब रसिया कुर्सी पर बैठो,
देखि पड़ी है तब बिटिया
जब रसिया पलंगा पर बैठो,
दनक पड़ी दुश्मन खटिया
जब रसिया छतिया पर बैठो,
बहुत भई हूँ मैं सुखिया
जब रसिया पलंगा उठि बैठो,
बैठ गयी मैं तब सठिया
शहर सुनो जा गो रसिया
शहर सुनो जा गो रसिया
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