Wednesday, July 13, 2016

कीकर एक झाड़ी है जिससे हमारी शायरी भरी है

हमारा कौमी दरख़्त
-अफ़ज़ाल अहमद सैय्यद

सफ़ेद यास्मीन की बजाए
हम कीकर को अपनी शिनाख्त करार देते हैं
जो अमरीकी युनिवर्सिटियों के कैम्पस पर नहीं उगता
किसी भी ट्रापिकल गार्डेन में नहीं लगाया जाता
इकेबाना खवातीन ने उसे कभी नहीं छुआ
नबातात के माहिर उसे दरख़्त नहीं मानते
क्योंकि उसपर किसी को फांसी नहीं दी जा सकती

कीकर एक झाड़ी है
जिससे हमारे शहर, रेगिस्तान
और शायरी भरी है

काँटों से भरा हुआ कीकर
हमें पसंद है
जिसने हमारी मिट्टी को बहिरा-ए-अरब में जाने से रोका.

(लिप्यान्तरण: मनोज पटेल)

***

इकेबाना - फूल सजाने का जापानी तरीका
नबातात - जमीन से उगने वाली चीजें
बहिरा - ए - अरब - अरब सागर

(http://nayibaat.blogspot.in/ से साभार)

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