सिर्फ
गैर अहम शायर
- अफ़ज़ाल अहमद सैय्यद
सिर्फ
गैर अहम शायर
याद
रखते हैं
बचपन
की फिरोजी और सफ़ेद फूलों वाली तामचीनी की प्लेट
जिसमें
रोटी मिलती थी
सिर्फ
गैर अहम शायर
बेशर्मी
से लिख देते हैं
अपनी
नज्मों में
अपनी
महबूबा का नाम
सिर्फ
गैर अहम शायर
याद
रखते हैं
बदतमीज़ी से तलाशी लिया हुआ एक कमरा
बाग़
में खड़ी हुई एक लड़की की तस्वीर
जो
फिर कभी नहीं मिली.
1 comment:
बढ़िया
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